Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 15
________________ करते हुए जन-जन में धर्म की ज्योति जगाते हैं तथा सम्यक्त्व . एवं चारित्र का दिव्य सन्देश प्रसारित करते हैं अतः उनके सम्पर्क से हम धर्म के स्वरूप से तथा सिद्ध भगवान से परिचित होते हैं। दूसरे उनसे हमारा सशरीरी होने के नाते निकट सम्पर्क है। वे " हमारे परम उपकारी हैं। यही कारण है कि अरिहंत भगवान . को सिद्ध भगवान की अपेक्षा प्रथम स्थान दिया गया है । प्रश्न-४ नवकार मंत्र के नव पदों में कुल कितने अक्षर हैं ?, . . उत्तर- नवकार मंत्र के नव पदों में पहले पद के ७, दूसरे के ५, तीसरे व चौथे के ७-७ और पांचवें के ६ अक्षर मिल कर पांच पदों के ३५ और पीछे के ४ पदों के ३३ अक्षर मिलाने से नव पदों के कुल ६८ अक्षर होते हैं । इसकी महिमा अनन्त है। उसे शब्दों में सीमित कर कहना सम्भव नहीं है। जैसे कहा है- . .. "प्रथम सात अक्षर पढो, पांच पढो चित्त लाय। । सात सात.नव अक्षरा, जपतां पाप पुलाय ।।'

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