Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 76
________________ mnawwan nuire -armireonamanentareewanememberinariantarmoniudmundMeramminentradaarun i-retrono. a n - .. . . ... ... . . . . . .. .. . . ...... . . . mantriannaamwleanakwanatime .. .. . ...10 .4 " " . . rrowre m @ सामायिक प्रश्नावली प्रश्न-१ सामाचि गया है ? उत्तर- सामायिक एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें लीन होकर साधक ४८ मिनट तक यात्मणी घाराधना करताहमा सम याने समत्व प्राप्ति का अम्याग करता है | aar: 'म-प्रवन एव सामायिकम् समत्य की प्राप्ति ही सामायिक है। अर्थात् श्रोधलोभादियांतर गोगों के लिये क्षमा, संतोष आदि श्रीपत्र प्राप्त करना ही सामायिक है। प्रश्न-२ सामायिक में किस वस्तु का त्याग किया जाता है ? उत्तर- सामायिक में हम 'सावज्जजोगं पच्चवखामि' याने सावश योगों अर्थात् पाप कार्यों का त्याग करते हैं। यह सामायिक ग्रहण के : पाठ से सुस्पष्ट है। प्रश्न-३ इस काल में सभी अतिचारों और दोषों से रहित सामायिक होना कठिन . है तो सदोष सामायिक करने से तो न करना ही अच्छा है ? उत्तर- निर्दोप सामायिक करना कठिन भले ही प्रतीत हो, पर यह अशक्य नहीं है । सांसारिक व्यवहार को चलाने के लिये तथा क्षण भंगुर जीवन को सुखी बनाने के लिये जो लोग बड़ी-बड़ी कठिनाइयों का सामना करते हैं, क्या वे प्रात्मा के शाश्वत कल्याण के लिये दो घड़ी भी सचेत, सजग एवं तत्पर नहीं रह सकते । विवेकवान व्यक्ति के लिये वस्तुतः निर्दोप सामायिक कर पाना संभव है। हमें इसके लिये सतत् जागृत रह कर अभ्यास करना चाहिये। दूसरे जब तक हमें पूर्ण निर्दोष सामायिक कर पाने की शक्ति प्राप्त न हो, तब तक हम सामायिक साधना को करना ही बन्द करले, यह विचार भी विवेकशून्य ही है। क्या मिष्ठान का इच्छूक उसके अभाव में रोटी भी छोड़ देगा। रत्नकंवल का आकांक्षी नंगा नहीं रहता। अतएव कदाचित् पूर्ण शुद्ध सामायिक न बन सके तो भी वर्तमान सामायिक में शुद्ध का लक्ष्य रख कर धीरे-धीरे गलती निकालते चलें, लगने वाले दोपों के लिये सामायिक - सूत्र /७६

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