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उत्तर- जैसा पहले ऊपर बताया जा चुका है कि ये सब परिग्रह के भेद
हैं, इस कारण रखना कल्प विरुद्ध है। फिर कभी घड़ी की चैन आदि अचानक खुल जाय या टूट कर गिर जाय, अन्टी के अचानक खुलने से रुपये गिर जाय तो वापिस उठाना नियम विरुद्ध है। पर इतना धैर्य रहना भी कठिन हो जाता है, इसलिये पहले से ही इस प्रकार की सब परिग्रह की वस्तुएँ पास में न रखना ही ज्यादा
अच्छा है। प्रश्न-११ सामायिक में वचन और काया तो फिर भी वश में किया जा सकता है
पर मन को वश में रखना कसे सम्भव हो सकता है ? उत्तर- यह ठीक है कि मन का स्वभाव चंचल होने से उसका स्थिर होना
सम्भव नहीं फिर भी अगर धार्मिक पुस्तकों का वांचन, नवीन ज्ञानार्जन, धार्मिक चर्चा, वार्ता और धर्मोपदेश आदि करने व सुनने में मन को जोड़ दिया जाय तो उसका इधर-उधर भटकना वन्द होगा और कुछ न कुछ नई जानकारी भी बढती रहेगी। श्रु त ज्ञान में अनुप्रेक्षा मन के स्थिरीकरण का बहुत ही सरल और सही मार्ग है।
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