Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 77
________________ प्रायश्चित करें और शुद्ध सामायिक करने का अभ्यास करते रहें। ऐसा करने से अन्ततः किसी समय शुद्ध सामायिक भी प्राप्त हो . सकेगी। शोध करने वाला स्नातक भी प्रारम्भ में स्लेट पर टेडी. .. मेढी रेखाएं खींचते हए अपनी शिक्षा प्रारम्भ करता है। तो फिर .... हम भी हमारी इस साधना रूपी शिक्षा का शुभारम्भ क्यों न करें ? प्रश्न-४ दिन भर पापाचरण करके दो घड़ी सामायिक कर भी लें तो क्या लाभ है. .. ...जबकि जीवन के पाप कर्म तो ज्यों के त्यों बने रहते हैं ? उत्तर- यद्यपि यह अधिक संगत है कि दो घड़ी की सामायिक के आदर्श को हम जीवन में, व्यवहार में उतारें। पर अभी हम क ख ग की " कक्षा में हैं । सामायिक के आदर्शों पर नहीं चल पा रहे हैं; तथापि यदि दो घड़ी सम्यक् आराधना में व्यतीत करेंगे तो समझना चाहिये कि ४८ हाथ डोरी में से ४६ हाथ तो कुए में डाल दी पर अभी दो हाथ डोर हाथ में है। यदि दृढ़तापूर्वक प्रयास करें तो क्या इस ४६ हाथ डोर को कुंए से नहीं निकाल सकते ? ठीक .....इसी प्रकार दो घड़ी के लिए सम्यक् रूपेण सामायिक करने वाला . . . साधक अपनी इस जमा पूंजी के बल पर अपना रत्नत्रय रूप माल पुनः प्राप्त कर सकता है । यदि एक कुली के सिर पर वेतोल वजन रखा हो और उसमें से कुछ को उठा लिया जाय तो क्या उसे हल्कापन की स्थिति अनुभव नहीं होती । सामायिक दिन भर मिलाये गये पापों की गठरी का भार कम कर देती है। . फिर यह बात भी है कि हमारी सामायिक एक ट्रेनिंग है। सतत् सामायिक के सम्पर्क में आने वाली आत्मा एक न एक दिन अपने जीवन व्यवहार में शुद्धि प्राप्त करने में अवश्य सफल होतो है। प्रश्न-५ सामायिक का वेश व उपकरण क्या है ? उत्तर- सामायिक के वेश व उपकरण में निम्न सम्मिलित हैं.. . (१) यथाशक्य श्वेत अल्पारंभी खादी की धोती. (२) यथाशक्य श्वेत अल्पारंभी खादी की दुपट्टी.. (३) यथाशक्य श्वेत अल्पारंभी खादी की मुख वस्त्रिका . (४) शुद्धं श्वेत अासन ............... .. . (५) माला . .. ... ...

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