Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 23
________________ अहिंसा, संयम और तप ही सच्चा धर्म है जो कि भव-भ्रमण के बन्धन काटने में सक्षम है। प्रश्न-१ क्या राम्यक्त्व भी लेने और देने की वस्तु है ? उत्तर- अन्न, धन और भोजन की तरह सम्यक्त्व लेने देने की वस्तु नहीं .. होती है, आत्म-गुण होने से वह केवल समझने एवं समझाने की वस्तु है। प्रश्न-२ सम्यक्त्व-सूत्र का पाठ प्रतिदिन क्यों ? उत्तर- यह सत्य है कि सम्यक्त्व तो एक बार साधना के प्रारम्भ में ही . . . ग्रहण किया जाता है, तथापि प्रतिदिन इस पाठ का उच्चारण .....: प्रयोजनहीन नहीं है। प्रतिदिन उच्चारण से सम्यक्त्व की स्मृति सदैव बनी रहती हैं । प्रतिज्ञा पाठ के नित्य उच्चारण से आत्मा में नवीन समुत्साह व अपूर्व आत्म बल का संचार होता है साथ ही .. यह प्रतिज्ञा भी अधिक स्पष्ट, शुद्ध व इसकी भावना नित्य अधिका. . .. .धिक बलवत्तर बनती जाती है। .. प्रश्न-३ सम्यक्त्व के क्या लक्षण है ? .. .. • उत्तर- सम्यक्त्व एकः आत्मिक अनुभूति है-एक अलौकिक भाव शक्ति है। कोई व्यक्ति सम्यकत्वधारी है या नहीं इसका निर्णय व्यवहारिक प्रतिज्ञा धारण द्वारा नहीं किया जा सकता। इसके आधारभूत कुछ लक्षण हैं जो कि एक सम्यक्त्वधारी व्यक्ति में होने चाहिये । मोटे तौर पर इनके आधार पर ही व्यक्ति सम्यकत्वधारी है या नहीं, इसका निर्णय लिया जा सकता है। ये लक्षण निम्न हैं.-.. . . (१) प्रशम-क्रोध आदि कषायों की मन्दता-शान्त स्वभाव । (२) संवेग-काम, क्रोध आदि वंध के कारणों से भयभीत रहना। (३) निर्वेद-विषय भोगों में अरुचि होना । (४) अनुकम्पा-दुःखी प्राणियों के दुःखों में समवेदना एवं दुःख . दूर करने की भावना। " (५) आस्था-प्रात्मादि आगमसिद्ध पदार्थों पर आस्था रखना।

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