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• समाप्ति-सूत्र
एयस्स नवमस्स सामाइय वयस्स पंच अइयारा जारिणयन्वा न समायरियन्वा तंजहा-मरण दुष्परिणहाणे, वय दुप्परिणहाणे, काय दुप्परिणहाणे, सामाइयस्स सइ अकरण्या, सामाइयस्स अरगवट्टियस्त करणया, तस्स मिच्छा मि दुक्कर्ड । सामाइयं सम्म काएण, न फासियं, न पालियं, न तोरियं, न किहियं, न सोहियं, न पाराहियं प्रारणाए अणुपालिय न भवइ, तस्स
मिच्छामि दुक्कडं। . दस मन के, दस वचन के और वारह काया के इन बतीस दोषों में से .. किसी दोष का सेवन किया हो तो, 'तस्स मिच्छामि दुक्कडं'। .
सामायिक में स्त्रीकथा, भातकथा, देशकथा और राजकथा इन चारों में से कोई विकथा की हो तो, 'तस्स मिच्छामि दुक्कडं'। __आहारसंज्ञा, भयसंज्ञा, मैथुनसंज्ञा और परिग्रहसंज्ञा इनमें से कोई संज्ञा की हो तो 'तस्स मिच्छा मि दुक्कडं' ।
सामायिक में अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार, जाने अनजाने कोई दोष लगा हो तो 'तस्स मिच्छा मि दुक्कडं' । __ सामायिक पाठ में काना, मात्रा, ह्रस्व, दीर्घ, पद, अक्षर, स्वर, अनुस्वार आगे पीछे वोला हो तो अनन्तसिद्ध केवली भगवान की साक्षी से 'तस्स मिच्छा मि दुक्कडं'।
एयस्स नवमस्स सामाइयवयस्त पंच अइयारा जारिणयवा
- इस .. .
नवमें .. सामायिक व्रत के पांच . . . . . अतिचार
ज्ञेय, जानने योग्य हैं। सामायिक - सूत्र / ६०