Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 59
________________ Materintent....in - अन्त में नमो जिणाणं द्वारा यह अभिलक्षित होता है कि ऐसे जो ... तीर्थंकर भगवान हैं, जो जिन भगवान हैं, उनको मेरा नमस्कार हो। -hai-indi meanothi-- - * .in 114 wraneamagramAvani.natrv.wwan प्रश्न-१: प्रस्तुत सूत्र का क्या नाम है ? .... . .. . उत्तर- इस सूत्र के तीन नाम हैं :(१) नमोत्थुरणं-भक्तामर की भांति प्रथम शब्द के आधार पर .......: . यह नाम प्रयुक्त किया जाता है। ... : .. (२) शक्रस्तव-प्रथम देवलोक के इन्द्र शकेन्द्र ने अरिहंत भगवान की स्तुति इस पाठ द्वारा की; अतः इसे शक्रस्तव भी कहा = .. . :. गया हैं। .(३) प्रणिपात्र सूत्र-प्रणिपात का अर्थ नमस्कार होता है। ... इसमें भी तीर्थंकर देव को नमस्कार किया गया है, अतः ......... इसको प्रणिपात सूत्र के नाम से भी उल्लेख किया जाता है। प्रश्न-२ नमोत्युणं पढने की विधि क्या है ? ...... उत्तर- राजप्रश्नीय आदि मूल आगम व कल्पसूत्रादि में जहाँ देवतानों द्वारा भगवान को नमोत्थुरणं के पाठ से वन्दन का उल्लेख है, वहाँ दाहिना By: . . . घुटना भूमि पर टेकने व वायां घुटना खड़ा कर दोनों हाथ अंजलि बद्ध कर मस्तक पर लगाने का विधान है। यह प्रासन विनय व नम्रता का सूचक है। वर्तमान में भी नमोत्थुरणं पढ़ने की यही ...... परम्परा प्रचलित है। ....... .......... . प्रश्न-३ प्रस्तुत सूत्र में किसको वंदना की गयी है. ? ....... .. ... उत्तर-. प्रस्तुत सूत्र में तीर्थंकर देव की स्तुति की गयी है। इसका क्षेत्र . सामान्य केवलियों तक विस्तत नहीं किया जा सकता क्योंकि 'तित्थयराणं सयंसंबुद्धाणं धम्म सारहीणं धम्मवर चाउरंत चक्क, वट्टीणं' आदि विशेषण इसे केवल तीर्थकर पद से मोक्ष पाने वालों तक ही सीमित करते हैं। प्रश्न-४ नमोत्युरणं कितनी बार व क्यों ? । उत्तर- इस संबंध में वर्तमान प्रचलित परम्परा दो वार. नमोत्थूणं पढने. की है। पहले से सिद्धों को व दूसरे से अरिहंतों को वंदना की जाती है। गजरात जैसे कुछ क्षेत्रों में तीसरा नमोत्थुरणं धर्माचार्य को भी दिया जाता है। . . पत ............:mai n taminor...... सामायिक-सूत्र / ५६

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