Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ - 0 सामायिक : व्रत ग्रहण व समापन विधि सामायिक एक पवित्रतम विशुद्ध साधना है। यह मन-मन्दिर को पवित्र बनाने का मंगलमय अनुष्ठान है । प्रत्येक कार्य यदि सम्यक् विधि से किया जाय तो 'सोने में सुहागा' की लोकोक्ति चरितार्थ हो जाती है। सब से पहले कार्य करने के पूर्व स्थल शुद्धि की जाती है व अपनी व्यक्तिगत विशुद्धि की जाती है। यहां भी सव से पहले पूजगी द्वारा स्थान शुद्धि कर आत्म-शुद्धि हेतु चउवीसत्थव किया जाता है, जिसकी विधि इस प्रकार है । (अ) शांत तथा एकांत स्थान का सम्यक् प्रकारेण प्रमार्जन एवं प्रतिलेखन। (आ) गृहस्थोचित वस्त्रों का परित्याग-परिवर्तन । (इ) शुद्ध प्रासन, वस्त्र एवं सामायिक के उपकरणों को ग्रहण करना । (ई) गुरु या उनकी अनुपस्थिति में पूर्वोत्तर (ईशानकोण) दिशा की ओर अभिमुख हो चउवीसत्थव करना-इसमें पाठों का निम्न क्रम से उच्चारण किया जाता है। (१) तिखुत्तो (तीन बार) (२) नवकार मंत्र (३) सम्यक्त्व-सूत्र (४) आलोचना-सूत्र (५) उत्तरीकरण-सूत्र (६) ऐपिथिक या पालोचना सूत्र का काउसग्ग (७) ध्यान का पाठ (८) लोगस्स (प्रकट) (8) करेमि भंते द्वारा व्रत ग्रहण (१०) नमोत्थुणं (दो बार) विधि पूर्वक व्रत ग्रहण के पश्चात् साधक व्रत का सम्यक् प्रकारेण परिपालन करता है। सामायिक का समय [१ मुहर्त-२ घड़ी (४८ मिनट)। व्यतीत होने पर वह सविधि सामायिक को पारता है। पारने के लिये भी चउवीसत्थव किया जाता है। इसमें पाठों का क्रम निम्न प्रकार है सामायिक - सूत्र / ६४

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81