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सम्भव - अभिरणंदरगं सुमई पउमप्पंह
। । ।
सुपासं
चंदप्पह जिणं वन्दे सुविहि
पुप्फदंतं सीमल सिज्जंस वासुपुज्ज विमलं अणंतं
। । । । । । । । । । । । । ।
- वन्दन करता हूँ. - श्री सम्भवनाथ को ..
श्री अभिनन्दन को
सुमतिनाथ को. - श्री पद्मप्रभ को
श्री सुपार्श्वनाथ को.
श्री चन्द्रप्रभ . . . - जिन को
वन्दना करता है सुविधिनाथ को और ... . . पुष्पदन्त को ... . . : शीतलनाथ को श्रेयांसनाथ को वासु पूज्य को .. विमलनाथ को अनन्तनाथ को और.
जिनेन्द्र - धर्मनाथ को -
शान्तिनाथ को .. वन्दना करता हूँ कुथुनाथ को अरनाथ को मल्लिनाथ को मुनि सुव्रत को श्री नेमिनाथ जिन को वन्दना करता हूँ अरिष्टनेमि को पाश्वनाथ को तथा वर्द्धमान को वन्दना करता हूँ इस प्रकार मेरे द्वारा
जिणं धम्म
.
..
सति
वन्दामि
अरं मल्लि मुणिसुव्य नमिजिएं
वंदे
रिट्ठनेमि पास
तह
बद्धमारणं चंदामि व
सामाधिक-पत्र /३६