Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Gyanendra Bafna
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 19
________________ प्रश्न-३. गुरुदेव को तीन बार वन्दन क्यों ? . उत्तर- जैन धर्म का आधार गुण है न कि व्यक्ति का भौक्तिक पिंड या . नाम या जाति विशेष । गरुदेव भी किसी महान आत्मा को उसके विशिष्ट गुणों के कारण ही माना जाता है। ये गुण तीन हैंसम्यग् ज्ञान, सम्यग् दर्शन व सम्यग् चरित्र। इन तीन गुणों के धारक हमारे गुरुदेव हैं, अतः उन्हें तीन बार वन्दन किया जाता है। हम तीन बार वन्दन करके गुरुदेव के रूप में इन तीन गणों को वन्दन करते हैं और अपने मन, वाणी व काय का बहुमान सूचित करते हैं। इन तीनों से विनय करने हेतु भी विधा वन्दन किया जाता है। प्रश्न-४ मूल पाठ में शब्द प्रदक्षिणा है, उसका क्या आशय है ? । उत्तर- तीर्थंकर भगवान ठीक समवशरण के बीचों-बीच विराजित होने से सम्भव है आगन्तुक व्यक्ति उनके चारों ओर परिक्रमा कर फिर सामने आकर पंचांग नमाकर वन्दन करता हो ( यह परिक्रमा उनके दाहिनी ओर से की जाती थी। प्रत्येक प्रदक्षिणा की समाप्ति पर वन्दन किया जाता है)। पर वर्तमान में यह परम्परा विच्छित्र हो गयी है। अब इसका स्थान यावर्त्तन ने ले लिया है। प्रवर्तन का तात्पर्य गुरुदेव के दाहिनी ओर से बांयी ओर तीन बार अंजलि बद्ध हाथ घुमाना है। यह रूपक प्रारती से काफी हद तक साम्य रखता है। कुछ लोग अपनी दाहिनी ओर से तीन अंजलि घुमा कर भी वन्दना किया . : करते हैं। . . . . . . . . . . . . . . . . .

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