Book Title: Ratnapala Nrup Charitra
Author(s): Surendra Muni
Publisher: Pukhraj Dhanraj Sheth

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Page 9
________________ थी, आप तुरन्त उसमें जा बैठे तथा बम्बई पहुँच गये / वहां आप एक घी के व्यापारी की दुकान पर कुछ समय तक रहे / एक दिन आपने अपने एक धर्ममित्र से अपनी भावना प्रकट की। इस पर उनके मित्र ने कहा-इस समय प्रौढ़प्रतापी वचन सिद्ध श्रीमान् मोहनलालजी महाराज साहब के प्रशिष्य तपस्वीजी श्री कल्याण मुनिजी महाराज साधु-समुदाय सहित वड़नगर (मालवा) में हैं। उनके पास आप जाइये और अपना कार्य सिद्ध कीजिये / वे अत्यन्त सरल प्रकृति के हैं तथा विद्वान् भी अद्वितीय हैं। मित्र के ऐसे वचन सुनकर आप अत्यन्त प्रसन्न हुए और उसी समय वहां से रवाना होकर बड़नगर में आये, जहां कि तपस्वीजी महाराज थे। वहां जाकर आपने गुरुवर्य को भावपूर्वक वन्दन किया, तदनन्तर आपने अपनी भावना को महाराज साहब के सन्मुख प्रकट की। तपस्वी महाराज ने भी इनका मुख तेजस्वी तथा वैराग्य रंग से रंगीन जान बड़नगर (मालवा) में संवत् 1965 की ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को बीस वर्ष की पूर्ण युवावस्था में दीक्षा प्रदान की तथा श्रमणोचित्त योग्य शिक्षाऐं दी। गुरु के सान्निध्य में रहकर आपने चारित्र का सुचारु रूप से पालन कर आत्मा को उच्च शिखर पर चढ़ाया। - बाल ब्रह्मचारी मुनिराज ने चन्द समय में ही विनय गुण व भक्ति द्वारा सर्व स्थित मुनियों को रंजित कर दिया। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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