________________
यात्रा
पा। यह सोचकर कि यह प्रकाश अन्दर के कमरे से भगवान् की मूत्ति से आ रहा है, वह मूत्ति के पास गया परन्तु वहां उसे ऐसा कुछ दिखायी नही दिया। न ही यह कोई मौतिक प्रकाश था । यह लुप्त हो गया और वह पुन समाधिस्थ हो गया। ___ पर शीघ्र ही रसोइए के इस कथन से कि पूजा समाप्त हो गयी है और मन्दिर बन्द करने का समय हो गया है, उसका ध्यान भग हो गया। इसके बाद उसने पुजारी से जाकर पूछा कि क्या कुछ खाने के लिए है। परन्तु उसे निषेधात्मक उत्तर मिला। उसने मन्दिर में प्रात काल तक ठहरने की आज्ञा मांगी परन्तु वह भी नही मिली । पुजारियो ने उससे कहा कि वे वहाँ से पौन मील दूर किलूर के मन्दिर पर पूजा करने जा रहे हैं, पूजा के बाद शायद उसे खाने के लिए कुछ मिल जाए । इसलिए वह उनके साथ हो लिया। ज्यो ही उन्होंने मन्दिर में प्रवेश किया, वह पुन समाधिस्थ हो गया। नौ बजे पूजा समाप्त हुई और वे सब खाने के लिए बैठ गये। वेंकटरमण ने फिर खाने के लिए पूछा । पहले ऐसा लगा था कि उसे खाने के लिए कुछ नही मिलेगा, परन्तु मन्दिर का ढोलकिया उसकी आकृति और श्रद्धापूण व्यवहार से प्रभावित हो गया था, उसने अपना हिस्सा उसे दे दिया। उसे प्यास लगी, चावलो की पत्तल उसके हाथ में थी, उसे पास ही रहने वाले एक शास्त्री के घर का रास्ता दिखा दिया गया, जहां उसे पानी मिल सकता था। घर के सामने खहा हुआ जव वह पानी का इन्तजार कर रहा था तो उसके कदम उगमगा गये और वह नींद में अथवा वेहोश होकर गिर पठा। थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया तव उसने देखा कि उसके चारों ओर कुछ लोग खडे हैं और उत्सुकतापूर्वक उसकी ओर देख रहे हैं । उसने पानी पिया, उठ खडा हुआ, विखरे हुए थोडे से चावल खाये और फिर जमीन पर लेट गया और उसे नीद आ गयी। ___अगले प्रात काल सोमवार ३१ अगस्त को गोकुलाष्टमी थी। यह श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन है और हिन्दुओ के लिए यह दिन अत्यन्त पवित्र माना जाता है। तिरुवन्नामलाई अब भी बीस मील दूर था। वेंकटरमण तिरुवन्नामलाई जाने वाली सडक का पता लगाने के लिए कुछ देर चलता रहा और फिर उसे थकावट महसूस हुई और भूख लगने लगी। उस समय के अधिकाश ब्राह्मणों में प्रचलित प्राचीन रीति-रिवाजो के अनुसार, वह सोने की बालियां पहने हुए था और उसकी वालियाँ रल-जटित थीं। उसने वालियां उतार लीं ताकि उन्हें बेच कर उसे कुछ पैसा मिल जाए और वह शेष यात्रा गाडी से करे। परन्तु प्रश्न यह था कि वे वालियां कहां और किसके पास बेची जाएं। वह यों ही एक घर के सामने आकर रुक गया। यह घर किन्हीं मुयुकृष्णन भागावतार का था। उसने घर के सामने रुककर भोजन के लिए कहा । कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन