Book Title: Raman Maharshi Evam Aatm Gyan Ka Marg
Author(s): Aathar Aasyon
Publisher: Shivlal Agarwal and Company

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Page 215
________________ १८८ रमण महर्षि श्रीभगवान् के लिए इस पृ'वी पर जीवन कोई ऐसा कोप नही या जिसे बचाकर रखा जाय । वह इस तथ्य के प्रति पूर्णत उदासीन थे कि यह उनका शरीर कितनी अवधि तक रहता है। एक बार मभा-भवन मे इस सम्बन्ध मे विवाद हुआ कि वे कितना अग्सा जीवित रहेंगे। कई व्यक्तियो ने ज्योतिपियो का उद्धरण देते हुए कहा कि वह ८० वप तक जीवित रहेगे, दूसरे व्यक्तियो ने या तो ज्योतिप की इम शुद्धता को मानने से इन्कार कर दिया या वे यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि यह श्रीभगवान् पर लागू होता है क्योकि उनका तो कोई कर्म शेप रह ही नहीं गया था। उन्होंने मुस्कराते हुए इस विवाद को मुना परन्तु इसमे भाग नहीं लिया । एक नवागन्तुक ने, जो इम विवाद को देखकर स्तव्य हो उठा था, पूछा, "भगवान् का इस मम्वन्ध मे क्या विचार है ?" उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया परन्तु जब देवराज मुदालियर ने उनकी जोर से उत्तर दिया कि "भगवान इम सम्बन्ध में सोचते ही नहीं है" तो वह स्वीकृति के रूप मे मुस्करा दिये । उनके जीवन के सम्पूर्ण अन्तिम वर्ष मे यह वात प्रमाणित होती है । भक्त उनकी पीड़ा से शोकातुर थे और उनकी सनिकट मृत्यु से विह्वल थे, परन्तु उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पडा । ___ सन् १९४६ के प्रारम्भ मे उनकी वाई भुजा की कोहनी के नीचे एक छोटी गांठ निकल आई । उसे भयकर नही ममझा गया और फरवरी मे आश्रम के डाक्टर ने इसे काट दिया। एक महीने मे यह फिर उभर आई, पहले से भी अधिक वडी और पीडादायक, और इस वार भक्तो को यह पता चला कि यह तो घातक रसौली है। इसमे लोगो मे चिन्ता फैल गयी। मार्च के अन्त तक मद्रास से डाक्टर आये और उन्होंने इसका आपरेशन कर दिया। घाव को ठीक तरह से आराम नहीं आया। यह रसोली जल्दी ही फिर उभर आयी, पहले से भी बडी और अधिक ऊंची। इसके बाद आश्रम में शोक का वातावरण छा गया। भक्तो को इसमे तनिक भी सन्देह नहीं रहा कि अव भगवान् का अन्त निकट है । कट्टरपन्थी डाक्टरो ने कह दिया कि वह रसौली का उपचार नहीं कर सकते, केवल आपरेशन ही कर सकते हैं और यह रेडियम उपचार के बावजद फिर उभर सकती है। अगर यह रसौली फिर उभरी तो यह प्राणघातक सिद्ध होगी। अन्य चिकित्सा-पद्धतियो को मानने वाले डाक्टरा का यह खयाल था कि वह रसौली का इलाज कर सकते हैं, आपरेशन मे तो यह पुन भयकर रूप में प्रकट हो जायेगी, जैसा कि आगे चल कर हा मी परतु इन डाक्टरों को परीक्षा का अवसर ही नही दिया गया। जव माच मे आपरेशन के वाद रमाली फिर निकल आयी, डाक्टगे ने भुजा काटने का सुझाव दिया । परन्तु भारतीय परम्परा के अनुसार मानी का शरीर विकृत नहीं किया जाना चाहिए । वस्तुत इमे धातु से भी नहीं छेदा

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