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पशु
१०७ नितान्त अभाव है । एक बार वह पहाड़ी पर बैठे हुए थे कि एक माँप उनकी टोंगो पर से रेंगता हुआ गुज़र गया। वे न ही हिले-डुले और न उन्होने किमी प्रकार का भय प्रशित किया। एक बार एक भक्त ने उनसे पूछा कि जव साय उनकी टांगो पर रेंगता हुआ मांप गया तो उन्हे कैसा अनुभव हुआ। उन्होंने हंसते हुए उत्तर दिया, "ठण्डा और कोमल ।"
जहाँ श्रीभगवान रहते वहां वह सांपो को नहीं मारने देते थे । "हम उनके घर मे आये हैं और हमे कोई अधिकार नहीं कि हम उन्हे सताये या विक्षुब्ध करें। वह हमे तग नहीं करते ।" और वह तग भी नहीं करते थे। एक वार । जव एक काला साँप उनकी माँ के निकट आया तो वह हर गयी । श्रीभगवान् उस सांप की ओर गये, उसने अपनी दिशा बदल ली और दूर चला गया। यह दो शिलाया के बीच में से गुज़रा और उन्होंने उमका पीछा किया, एक पत्थर की दीवार के पास जाकर रास्ता खत्म हो गया, और आगे जाने का रास्ता न देख वह वापस मुडा, कुण्डली मार कर बैठ गया और श्रीभगवान् की ओर देखने लगा । धीभगवान ने भी उसकी ओर देखा । कुछ क्षण तक यह सव जारी रहा और फिर काले सांप ने कुण्डली छोड की और निभय होकर, शान्त भाव से रेंगता हुआ, उनके पैर के पास से निकल गया।
एक बार जब श्रीभगवान् कुछ भक्तो के साथ स्कन्दाश्रम में बैठे हुए थे, एक नेवला दोडता हुआ आया और पोडी देर उनकी गोद में बैठा रहा । उन्होंने कहा, "कौन जानता है, यह क्यो आया यह कोई साधारण नेवला नही है।" एक अन्य असाधारण नेवले का वणन प्रो० वेंकटरमैया ने अपनी डायरी मे दिया है। श्री प्राण्ट डफ के एक प्रश्न के उत्तर में श्रीभगवान ने कहा था।
___ "रुद्र दशन के ममारोह की बात है। उस ममय मैं पहाडी पर स्थित स्कन्दाश्रम में रह रहा था। नगर से भक्तो का तांता पहाडी की
ओर बंधा हुआ था। एक नवला जो असाधारण रूप से वहा था, जिसका सामान्य धूमर रग न होकर सुनहरा रंग था और जिमकी पंछ पर सामान्य काला धब्बा भी नहीं था, भीड मे से निभय होकर जा रहा था । लोगो ने सोचा कि यह पालतू नेवला है और इसका मालिक कही भीड में होगा । यह नेवला सीधा पलानी-स्वामी के पास चला गया जो विरूपाक्ष कन्दग के निकट चश्मे मे स्नान कर रहे थे। उन्होंने इसे पार से थपथपाया। यह उनके पीछे-पीछे कन्दरा मे चला गया। इसने कन्दरा के हर कोने का निरीक्षण किया और फिर स्कन्दाधम जाने वाली भीड में मम्मिलित हो गया। प्रत्येक व्यक्ति इसके आकपक रूप और निभय चाल में प्रभावित हुआ। यह मेरे निकट आया, मेरी गोद में चढ़ गया और वहीं कुछ देर बैठा रहा । तब यह उठा, इसने चारो ओर एक नजर