Book Title: Raman Maharshi Evam Aatm Gyan Ka Marg
Author(s): Aathar Aasyon
Publisher: Shivlal Agarwal and Company

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Page 77
________________ रमण महपि इस प्रकार के हस्तक्षेप का एक और प्रयास शरावी साधुओ के एक दल ने किया था। एक दिन विरूपाक्ष कन्दरा पर आकर यह साधु सौगन्ध खाकर कहने लगे, "हम पोदीकाई पहाडी से आये है। यह वह पवित्र पहाडी है, जिस पर प्राचीन अगस्त ऋपि अब भी सहस्रो वर्षों से तपस्या कर रहे हैं । उन्होने हमे आदेश दिया है कि हम पहले आपको श्री रगम मे सिद्धो के सम्मेलन मे ले जाये और वहां से पोदीकाई ले जाय । वहाँ आपके शरीर से उन लवणो का निष्कासन किया जायगा जो आपकी आध्यात्मिक सिद्धि मे वाधक है और फिर आपको नियमित दीक्षा दी जायगी।" ___श्रीभगवान् ने, जैसा कि इस प्रकार के मव अवसरो पर उनकी आदत थी, कोई जवाब नहीं दिया। किन्तु इस अवसर पर उनके एक भक्त पेरूमल स्वामी ने उन धूर्तों को भी मात दे दी। उसन कहा, "हमे पहले ही आपके आगमन की सूचना मिल चुकी है और यह आदेश मिला है कि आपको कढाहो मे रखें और उन्हे आग पर चढा दे।" और दूसरे भक्त को सम्बोधित करते हुए उसने कहा, "जाओ और गढा खोदो जहाँ इन लोगो को आग पर चढाया जाय ।" वह शरावी साधु एकाएक भाग खड़े हुए। सन् १६२४ मे, जब थीभगवान् पहाडी की तराई मे स्थित वर्तमान आश्रम में निवास कर रहे थे, कुछ चोरो ने उस शाला मे सेंध लगायी, जिसमे उनकी माता का स्मारक था । वह कुछ चीजें चुराकर ले गये। कुछ हफ्तो वाद तीन चोर आश्रम मे चोरी करने आये। २६ जून का दिन था और लगभग साढे ग्यारह बजे का समय । अन्धेरी रात थी। श्रीभगवान् पहले ही माता के स्मारक के सामने वाले महाकक्ष मे बने हुए चबूतरे पर विश्राम करने के लिए चले गये थे । चार भक्त खिडकिया के निकट फर्श पर सो रहे थे। इनमे से दो सेवक कुजूस्वामी और मस्तान ने वाहर किसी को यह कहते हुए सुना, “अन्दर छ आदमी सो रहे है ।" कुजू चिल्लाया, "वहाँ कौन है ?" चोरो ने अन्दर के लोगो को डराने के लिए खिडकी तोडनी शुरू की। कुजूस्वामी और मस्तान उठे तथा उस चबूतरे की ओर गये जहाँ श्रीभगवान् थे। चोरो ने उस तरफ की एक खिडकी तोडी परन्तु श्रीभगवान् अविचल भाव से बैठे रहे । तव कुजूस्वामी महाकक्ष के उत्तरी द्वार से बाहर निकल गया क्योकि चोर दक्षिण की ओर थे । वह दूसरी झोपडी में सो रहे, एक भक्त रामकृष्णस्वामी को सहायता के लिए बुला लाया। जब उसने दरवाजा खोला तव आश्रम के दो कुत्ते, जैक और करप्पन वाहर दौड पडे । चोरा न उन्ह और जैक को मारा और भाग खड़े हुए। करप्पन वचन के लिए दौडकर महाकक्ष मे आ गया।

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