Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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सेठ मूलचन्द सोनी मार्ग अनोप चौक, अजमेर
२-८-७७
'राजेन्द्र-ज्योति' के प्रकाशन के लिए मेरी हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
-भागचन्द सोनी
यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. के जन्म-दिवस के १५० वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आप श्री राजेन्द्र जैन नव युवक परिषद् ने 'राजेन्द्र-ज्योति' नामक ग्रंथ प्रकाशित करने का जो संकल्प किया है, यह जैन समाज के प्रति बड़ा ही उत्साही व सराहनीय कदम है।
-सुमेरमल हजारीमलजी लुंकड़
जोधपुर, २०-८-७७
परम पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. सर्व जगत् के लिए प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। उनका रचित श्री राजेन्द्र-कोष भारत में ही नहीं, वरन् विदेशों में भी एक महान् ग्रंथ माना गया है। श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् द्वारा ऐसी महान् आत्मा के १५० वर्ष के समापन पर 'राजेन्द्र-ज्योति' नामक ग्रंथ प्रकाशित करना ही एक महान् व गुरुदेव के प्रति श्रद्धा का विषय है। आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि ऐसा ग्रंथ अवश्य ही सप्त राजेन्द्र-कोष की गरिमा को बढ़ाने में सहायक होगा।
-इन्दरमल मेहता (एडव्होकेट)
वी.नि. सं. २५०३
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