Book Title: Puratana Prabandha Sangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 43
________________ ६९७८ ६१९७९ ६९८६ पुरातनप्रबन्धसङ्ग्रह। ११ वीसलदेवगीतशिक्षणवृत्तान्त , २११ १२ नागलदेवीगीतोपदेशवृत्तान्त १३ जगडूवसाहप्राप्तअश्ववृत्तान्त १४ पृथ्वीपुरश्रेष्ठीवृत्तान्त १५ गयणा-मयणा इन्द्रजालिकवृत्तान्त १६ विक्रमरोगोत्पत्तिवर्णन १७ मयणल्ला पापघटवृत्तान्त १८ अभयदेवसूरिवृत्तान्त १९ वलभी-यवनागमनवृत्तान्त २० अमरचन्द्रकविवृत्तान्त । २१ कच्छदेशीयजिणहाव्यापारीवृत्तान्त २२ यशोभद्रसूरिपारणावृत्तान्त २३ कर्णाटनृपपुलकेशिमृत्युवृत्तान्त २४ जगडूदानवृत्तान्त ६१८ ६६८ ६२४२ ६१७७ ६२५४ ६९८७ २५) २६ जगदेवदानवृत्तान्त+ 성 성 성 정 성 정 영 성 성 정 정 정 성 성 정 정 정 정 엉 엉 엉 엉 엉 엉 성 성영 rammmmmorrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr 2200 220002 virar 2009 22. " २६१९८ २८ सीतापण्डितावृत्तान्त २९ हेमाचार्यछत्रशिलावृत्तान्त ३० भोजराजनमोविधानवृत्तान्त । ३१ कालीदाससमस्यापूर्तिवृत्तान्त ३२ नागलदेवी-मयणसाहारवृत्तान्त ३३ उदयप्रभसरस्वतीध्यानवृत्तान्त ३४ कुमारपालराज्यप्राप्तिशकुनवृत्तान्त ३५ कर्णमातादेमतिमृत्युवार्ता ३६ भोजकुण्डलोत्कीर्णकाव्यवार्ता ३७ हैमव्याकरणकरणवृत्तान्त ३८ भोज-भीम-कर्णयुद्धवृत्तान्त ३९ लघुवाग्भटकृतौषधिवृत्तान्त ४० वाग्भटजलोदररोगवृत्तान्त ४१ श्रीमातावृत्तान्त ६४० ६७८ ६४१ ६१७ ६१८१ ६९७० ६९० ६४५ ६४२ ६७४ ६२१८ ६२१६ * इस कथाका भी इतिहास के साथ कोई संपर्क न होनेसे, इसे भी टिप्पनीके परिशिष्टमें मुद्रित की है। + पद्यांक (२७१) के बाद जो ३ कण्डिकायें दी गई हैं और जिनमें क्रमसे (२७२), (२७३), (२७४), के पद्यांक दिये हुए हैं वे ही तीन कण्डिकायें ये २५, २६, और २७ संख्या वाली कथायें समझनी चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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