Book Title: Puratana Prabandha Sangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 217
________________ १९ , ११४ .... Gur 6 6 ainsi alte tikai ki ३९ प्रबन्धचिन्तामणिविशेषनामसूचिः । यशोधवल १२२, १२३ । वस्तुपाल [ महामात्य] ९८, १००, १०२, यशोभद्र [सूरि] रोहक [महामात्य] ___१०३, १०५ यशोराज रोहण, रोहणाचल वाग्भट [मंत्री] यशोवर्मा ५८-६१, ७४, ७६ ९२-९४ यशोवीर १०१, १०२ लंक [गढ] (लङ्का) २३, ५८ , , (लघु, बृहत् ) [वैद्य] १२१ युगादिदेव [जिन] ४५, ६६, ८६, लक्खउ (लाखाक) [वैद्यक ग्रन्थ] १२१ १०५, १०७ १६, १९ वाणारसी [नगरी] २०, ५०, ७४, युधिष्ठिर २२, ८२ लक्षराज , यूका विहार लक्ष्मणसेन. ११२ गदिवेतालीय [बिरुद] योगराज १४, १५ | लक्ष्मी ३५, १०४ वामराशि [विप्र] योगशास्त्र ८६, ९०, ९२, १०८ लक्ष्मीपति १२७ वायटीय [गच्छ ] १०१ योगीश्वरि [भट्टारिका]-प्रासाद लष (ख) णावती [पुरी] ११२ वायटीय जिनायतन लघु भैरवानन्द [योगी] ६० (टि.) वाराही ग्राम रघु [कुल, राजा] ७३, ८६ लघु वाग्भट [वैद्य] १२२ वाराहीय च रङ्क [वणिक्] १०८, १०९ लङ्का [नगरी] १३, ३२, ३९, ६६, ७२ वाराही संहिता [ग्रंथ] रणसिह ११९ लच्छि (लक्ष्मी) ४५ वालाक [देश] रति ४० ललितसर १०० वाल्मीकि [ऋषि] ४२ रतिरमण लवणप्रसाद [राजा] ९४, ९८, १००, वासुकि [नागराज] ११९, १२० रखपरीक्षा अन्य १०३, १०४ वासुदेव रत्नप्रभ [पण्डित] लाखाक [फुल उत्र] - १८, १९ विक्क(क)मकाल १५, १०९ रत्नमाल [पुर] लाछि [छिम्पिका] विक्रम [प] २, ४, ६, ७, ९ रशेखर १०९, ११० लाट [देश] ___३१, ९५ विक्रमार्क १,५,२७,८२,१०६,१२१ रत्नाकर [पण्डित] लाटेश्वर विक्रमादित्य ) विक्रमार्क संवत्सर १३ लीला [ठकुर, राजवैद्य] रखादित्य विग्रहराज राज [राजपुत्र, क्षत्रिय] लीलादेवी राजघरह [बिरुद] विचार चतुर्मुख [बिरुद] लूणिग [मंत्री] १००, राजपितामह [] ___८०,८१ विजयसेन सूरि ९९, १०४ लूणिगवसहि [प्रासाद] राजमदनशङ्कर [,,] विजया [पण्डिता] राजविडम्बन [नाटक] विदिशा [नगरी] राजशेखर [कवि, अकालजलद ] वटपद [ग्राम] विद्याधर [मंत्री] ११३, ११४ राजिराज (1) वडसर , विद्यापति [महाकवि] वढवाण , राम [दाशरथी] १९, २४, ५५, ७३ विनायक [गणपति] वढीयार [देश] १२ रामचन्द्र [कवि, प्रबन्धशतकर्ता] ६३, ६४ विनीता [नगरी] वनराज _१२, १३, १४ विभीषण ५८, ७३ वयजल्लदेव [तपस्विभूपति] रामेश्वर-प्रासाद विमल गिरि वयजलदेव [प्रतीहार] रावण [लङ्कापति] २४, २८ ९७ विमलवसहिका राष्ट्रकूट [वंश] वररुचि [पण्डित]. विमलवाहन ४, ३८, ९० वराहमिहिर [पण्डित] ११८, ११९ विरञ्चि ११६ रुद्रमहाकाल-प्रासाद वर्द्धमानपुर ६४, ८६, १२५ विरहक [वृक्ष विशेष] वर्द्धमानप्रतिमा १०९ विशाला [नगरी] वर्द्धमानसूरि ३६, १०९ विशोपक [देश?] रेवा [नदी] वलभीपुर १०७-९, १२२ | विश्वल वलभीभंग विश्वामित्र ६० (टि.), रैवतक २० विश्वेश्वर rro १५ ६५ १०१ रुद्ध रुद्रादित्य मंत्री] २१, २२, २३ रुदाइच। [मत्रा] रैवत [पर्वत] १०९ ६५, ८७, १०८, | वलभराज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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