Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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प्रवचन
सूत्रे
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मणम
॥४६७॥
एयं । सीसंगुलिमाईहि य तजेइ गुरुं पणिवेयंतो ॥१६६ ॥ वीसंभट्ठाणमिणं सब्भावजढे सढं भवइ एयं । कवडंति कइ- ३ प्रतिक्रयवंति य सढयावि य हुंति एगछौं ॥ १६७ ॥ गणिवायगजिठजत्ति हीलिउं किं तुमे पणमिऊण ? । दरवंदियंमिवि कह। करेइ पलिउंचियं एयं ॥ १६८॥ अंतरिओ तमसे वा न वंदई वंदई उ दीसंतो। एयं दिट्ठमंदिट्ठ सिंगं पुण मुद्धपांसेहिं | ॥१६९ ॥ करमिव मन्नइ दिंतो वंदणयं आरहंतियकरोत्ति । लोइयकराउ मुक्का न मुच्चिमो वंदणकरस्स ॥१७०॥ आलि-16 द्धमणालिद्धं रयहरणसिरेहिं होइ चउँभंगो । वयणक्खरेहिं ऊणं जहन्नकालेवि सेसेहिं ॥ १७१ ॥ दाऊण बंदणं मत्थएण वंदामि चूलिया एसौ । मूयब सदरहिओ जं वंदइ मूयगं तं तु ॥ १७२ ॥ ढड्डरसरेण जो पुण सुत्तं घोसेइ ढड्डरं तमिह ।। चुडलिं व गिण्हिऊणं रयहरणं होइ चुंडलिं तु ॥ १७३ ॥ पडिकमणे सज्झाए काउस्सग्गेऽवराहपाहुणए । आलोयणसंवरणे उत्तमढे य वंदणयं ॥ १७४ ॥२ द्वारम् ॥
चिइवंदण उस्सग्गो पोत्तियपडिलेह वंदणालोए। सुत्तं वंदण खामण वंदणय चरित्तउस्सग्गो ॥१७५॥ दसणनागुस्सग्गो सुयदेवयखेत्तदेवयाणं च । पुत्तियवंदण थुइतिय सक्कथय थोत्त देवसियं ॥ १७६ ॥ मिच्छादुक्कड पणिवापदंडयं काउसग्गतियकरणं । पुत्तिय वंदण आलोय सुत्त बंदणय खामणयं ॥ १७७॥ वंदणयं गाहातियपाढो छम्मासियस्स | उस्सग्गो। पुत्तिय वंदण नियमो थुइतिय चिइवंदणा राओ॥ १७८ ॥ णवरं पढमो चरणे दंसणसुद्धीय बीय उस्सग्गो। | सुअनाणस्स तईओ नवरं चिंतेइ तत्थ इमं ॥१७९॥ (सयणा०) तइए निसाइयारं चिंतइ चरिमंमि किं तवं काहं ? । छम्मासा ॥४६७॥ एगदिणाइ हाणि जा पोरिसि नमो वा ॥ १८०॥ मुहपोत्तीवंदणयं संबुद्धाखामणं तहालोए। वंदण पत्तेयं खामणाणि
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