Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 625
________________ 8| सहस्सा य सबेसि ॥ ७५ ॥ जोयणसयविच्छिन्ना मूलुवरि दस सयाणि मज्झमि । ओगाढा य सहस्सं दसजोयणिया य सिं कुड्डा ॥७६ ॥ पायालाण विभागा सबाणवि तिन्नि तिन्नि बोद्धया । हिट्ठिमभागे वाऊ मज्झे वाऊ य उदगं च ॥७॥ उवरिं उदगं भणियं पढमगबीएसु वाउसंखुमिओ । उर्ल्ड वामे उदगं परिवड्डइ जलनिही खुमिओ ॥७८ ॥ परिसंठिअंमि पवणे पुणरवि उदगं तमेव संठाणं । वड्लेइ तेण उदही परिहायइऽणुक्कमेणेव ॥ ७९ ॥ २७२ द्वारम् ॥ समओ जहन्नमंतरमुक्कोसेणं तु जाव छम्मासा । आहारसरीराणं उक्कोसेणं नव सहस्सा ॥ ८०॥ चत्तारि य वाराओ चउदसपुची करेइ आहारं । संसारम्मि वसंतो एगभवे दोन्नि वाराओ ॥ ८१॥ तित्थयररिद्धिसंदसणत्यमत्थोवगहणहे| वा । संसयवुच्छेयत्थं [वा] गमणं जिणपायमूलंमि ॥ ८२॥ २७३ द्वारम् ॥ सग जवण सबर बब्बर काय मुरुडोड्डु गोण पक्कणया । अरबाग होण रोमय पारस खस खासिया चेव ॥ ८३॥ दुबिलय लउस बोक्कस मिलंध पुलिंद कुंच भमररुआ। कोवाय चीण चंचुय मालव दमिला कुलग्या या ॥८४॥ केकय | किराय हयमुह खरमुह गयतुरयमिंढयमुहा य । हयकन्ना गयकन्ना अन्नेऽवि अणारिया बहवे ॥८५॥ पावा य चंडकम्मा अणारिया निग्घिणा निरणुतावी । धम्मोत्ति अक्खराई सुमिणेऽवि न नजए जाणं ॥८६॥ २७४ द्वारम् ॥ रायगिह मगह १ चंपा अंगा २ तह तामलित्ति वंगा य ३ । कंचणपुरं कलिंगा ४ वणारसी चेव कासी य५॥८७॥ साकेयं कोसला ६ गयपुरं च कुन ७ सोरियं कुसट्टा य ८। कंपिल्लं पंचाला ९ अहिछत्ता जंगला चेव १०॥८८॥ बारवई य सुरहा |११ मिहिल विदेहा य१त्थ कोसंबी १३ । नंदिपुरं संडिल्ला १४ भद्दिलपुरमेव मलया य १५॥ ८९॥ वइराड मच्छ १६ Jain Educ a tion For Private Personal Use Only

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