Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 585
________________ १.८४ पलिओवमं च तिविहं उद्धारऽद्धं च खेत्तपलियं च । एक्केकं पुण दुविहं बायर सुहुमं च नाय ॥ १८ ॥ जं जोयणविच्छिन्नं तं तिउणं परिरएण सविसेसं । तावइयं उबिद्धं पलं पलिओवमं नाम ॥ १९ ॥ एगाहियबेहियतेहियाण उक्कोस सत्तरत्ताणं । सम्मङ्कं संनिचियं भरियं वालग्गकोडीहिं ॥ २०॥ तत्तो समए समए इक्किके अवहियंमि जो कालो । संखिज्जा खलु समया वायरउद्धारपलंमि ॥ २१ ॥ एकेकमओ लोमं कट्टुमसंखिज्जखंडमद्दिस्सं । समछेयाणंतपएसियाण पलं भरिजाहि ॥ २२ ॥ तत्तो समए समए एक्केके अवहियंमि जो कालो । संखिज वासकोडी सुहुमे उद्धारपलंमि ॥ २३ ॥ वाससए वासस एकेके बायरे अवहियंमि । बायरअद्धापलियं संखेज्जा वासकोडीओ ॥ २४ ॥ वाससए वाससए एक्केके अवहियम्मि सुहुमंमि । सुमं अद्धापलियं हवंति वासा असंखिज्जा ॥ २५ ॥ बायरसुहुमायासे खेत्तपसाणुसमयमवहारे । बायरसुहुमं खेत्तं उस्सप्पिणीओ असंखेज्जा ॥ २६ ॥ १५८ द्वारम् ॥ उद्धारपल्लगाणं कोडाकोडी भवेज्ज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ एक्कस्स भवे परीमाणं ॥ २७ ॥ जावइओ उद्धारो अड्डाइजाण सागराण भवे । तावइआ खलु लोए हवंति दीवा समुद्दा य ॥ २८ ॥ तह अद्धापल्लाणं कोडाकोडी भवेज्ज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ परिमाणं हवइ एगस्स ॥ २९ ॥ सुहुमेण उ अद्धासागरस्स माणेण सबजीवाणं । कम्मठिई कायठिई भवट्टिई होइ नायबा ॥ ३० ॥ इह खेत्तपलगाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ एक्कस्स | भवे परीमाणं ॥ ३१ ॥ एएण खेत्तसागरउवमाणेणं हविज्ज नायबं । पुढविदगअगणिमारुयहरियतसाणं च परिमाणं ।। ३२ ।। १५९ द्वारम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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