Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 591
________________ अस्संखोसप्पिणिसप्पिणीउ एगिंदियाण ( उ ) चउण्हं । ता चेव ऊ अणंता वणस्सइए उ बोद्धवा ॥ ९४ ॥ वाससहस्सा संखा विगलाणं ठिइड होइ बोद्धवा । सत्तट्ठभवा उ भवे पणिंदितिरिमणुय उक्कोसा ॥ ९५ ॥ १८५ द्वारम् ॥ बावीसई सहस्सा सत्तेव सहस्स तिन्निऽहोरत्ता । वाए तिन्नि सहस्सा दसवाससहस्सिया रुक्खा ॥ ९६ ॥ संवच्छराई बारस राईदिय हुंति अउणपन्नासं । छम्मास तिन्नि पलिया पुढवाईणं ठिउक्कोसा ॥ ९७ ॥ सण्हा य १ सुद्ध २ वालुय ३ मणोसिला ४ सक्करा य ५ खरपुढवी ६ । एक्कं १ बारस २ चउदस ३ सोलस ४ अट्ठार ५ बावीसा ६ ॥ ९८ ॥ १८६ द्वारम् ॥ जोयणसहस्समहियं ओहपएगिंदिए तरुगणेसु । मच्छजुयले सहस्सं उरगेसु य गन्भजाईसु ॥ १०९९ ॥ उस्सेहंगुलगुणियं जलासयं जमिह जोयणसहस्सं । तत्थुप्पन्नं नलिणं विन्नेयं भणियमाणंति ॥ ११०० ॥ जं पुण जलहिद हेसुं पमाणजोयणसहस्समाणेसुं । उप्पज्जइ वरपरमं तं जाणसु भूवियारंति ॥ ११०१ ॥ वणऽणंतसरीराणं एगमनिलसरीरगं पमाणं । अनलोदगपुढवीणं असंखगुणिया भवे बुड्ढी ॥ २ ॥ विगलिंदियाण बारस जोयणा तिन्नि चउर कोसा य । सेसा - गोगाहणया अंगुलभागो असंखिजो ॥ ३ ॥ गम्भचउप्पय छग्गाउयाई भुयगेसु गाउयपुहुत्तं । पक्खीसु धणुपुहुत्तं मणुएसु य गाउया तिन्नि ॥ ४ ॥ १८७ द्वारम् ॥ कायं पुप्फगोलय १ मसूर २ अइमुत्तयस्स कुसुमं च ३ । सोयं १ चक्खू २ घाणं ३ खुरप्पपरिसंठिअं रसणं ४ ॥ ५ ॥ नाणागारं फासिंदियं तु बाहलओ य सवाई । अंगुल असंखभागं एमेव पुहुत्तओ नवरं ॥ ६ ॥ अंगुलपुहुत्त रसणं फारसं तु सरीरवित्थडं भणियं । बारसहिं जोयणेहिं सोयं परिगिण्हए सद्दं ॥ ७ ॥ रूवं गिण्हइ चक्खू जोयणलक्खाओं साइरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628