Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 610
________________ प्रवचन READARSANSANS २३६-४६ अणुव्रतभंगादीनि गा. १३३७-६४ ॥५११॥ है कोहं ७ माणं ८ मायं ९ लोहं १० च राग ११ दोसे १२ य । कलहं १३ अब्भक्खाणं १४ पेसुन्नं १५ परपरीवायं १६ ॥५२॥ मायामोसं १७ मिच्छादसणसलं १८ तहेव वोसरिमो। अंतिमऊसासंमि देहपि जिणाइपच्चक्खं ॥५३॥२३७द्वारम् ॥ छवय छकायरक्खा पंचिंदियलोहनिग्गहो खंती। भावविसुद्धी पडिलेहणाइकरणे विसुद्धी य ॥५४॥ संजमजोए जुत्तय अकुसलमणवयणकायसंरोहो । सीयाइपीडसहणं मरणंउ(तु)वसग्गसहणं च ॥ ५५॥ २३८ द्वारम् ॥ धम्मरयणस्स जोगो अक्खुद्दो १ रूववं २ पगइसोमो ३ । लोयप्पिओ ४ अकूरो ५ भीरू ६ असठो ७ सदक्खिन्नो ८ ॥५६॥ लज्जालुओ ९ दयालू १० मज्झत्थो ११ सोमदिहि १२ गुणरागी १३ । सक्कहसुपक्खजुत्तो १४ सुदीहदंसी १५ | विसेसन्नू १६ ॥ ५७ ॥ वुड्डाणुगो १७ विणीओ १८ कयन्नुओ १९ परहियत्थकारी य २० । तह चेव लद्धलक्खो २१ इगवीसगुणो हवइ सड्डो॥५८॥२३९ द्वारम् ॥ उक्किट्ठा गब्भठिई तिरियाणं होइ अट्ठ वरिसाई। माणुस्सीणुक्किट्ठ इत्तो गब्भडिई वुच्छं ॥ ५९॥ २४० द्वारम् ॥ गब्भट्ठिई मणुस्सीणुक्किट्ठा होइ वरिसबारसगं। गम्भस्स य कायठिई नराण चउवीस वरिसाइं॥६०॥२४१-२४२ द्वारम् ॥ पढमे समये जीवा उप्पन्ना गब्भवासमझमि । ओयं आहारंती सबप्पणयाइ पूयब ॥ ६१॥ ओयाहारा जीवा सबे अपजत्तया मुणेयवा । पजत्ता उण लोमे पक्खेवे हुंति भइयवा ॥ ६२ ॥ २४३ द्वारम् ॥ रिउसमयण्हायनारी नरोवभोगेण गब्भसंभूई। बारसमुहुत्त मज्झे जायइ उवरिं पुणो नेय ॥ ६३ ॥ २४४ द्वारम् ॥ सुयलक्खपुहुत्तं होइ एगनरभुत्तनारिगन्भमि । उक्कोसेणं नवसयनरभुत्तत्थीइ एगसुओ ॥ ६४ ॥२४५-२४६ द्वारम् ॥ ॥५११॥ A LM Jan Education in For PrivatesPersonal use Only. .. |www.jainelibrary.org

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