Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 619
________________ सहसमहो उवगाढा उवरि अहो पल्लयागारा ॥ ८२॥ अंजणगिरिसिहरेसु व तेसुवि जिणमंदिराई रुंदाई । वावीणमंतरालेसु पचयदुर्ग दुगं अत्थि ॥ ८३ ॥ ते रइकरामिहाणा विदिसिठिया अट्ठ पउमरायाभा । उवरिठियजिर्णिदसिणाणघुसिणरससंगपिंगुव ॥८४॥ अञ्चंतमसिणफासा अमरेसरविंदविहियआवासा । दसजोयणसहसुच्चा उबिद्धा गाउयसहस्सं ॥८५॥ झल्लरिसंठाणठिया उच्चत्तसमाणवित्थडा सवे । तेसुवि जिणभवणाई नेयाई जहुत्तमाणाई ॥८६॥ दाहिणदिसाएँ भद्दा विसालवावी य कुमुयपुक्खरिणी । तह पुंडरीगिणी मणितोरणआरामरमणीया ॥८७॥ पुक्खरिणी नंदिसेणा तहा अमोहा |य वावि गोथूभा । तह य सुदंसणवावी पच्छिमअंजणचउदिसासु ॥ ८८॥ विजया य वेजयंती जयंति अपराजिया उ! वावीओ। उत्तरदिसाएँ पुवुत्तवावीमाणा उ बारसवि ॥ ८९॥ सबाओ वावीओ दहिमुहसेलाण ठाणभूयाओ । अंजणगिरिपमुहं गिरितेरसग विजइ चउदिसिपि ॥ ९०॥ इय बावन्नगिरीसरसिहरट्ठियवीयरायबिम्बाणं । पूयणकए चउबिहदेवनिकाओ समेइ सया ॥ ९१॥ २६९ द्वारम् ॥ ___ आमोसहि १ विप्पोसहि २ खेलोसहि ३ जल्लओसही ४ चेव । सबोसहि ५ संभिन्ने ६ ओही ७ रिउ ८ विउलमइलद्धी ९॥ ९२ ॥ चारण १० आसीविस ११ केवलिय १२ गणहारिणो य १३ पुवधरा १४ । अरहंत १५ चक्कवट्टी १६ बलदेवा १७ वासुदेवा १८ य ॥ ९३ ॥ खीरमहुसप्पिआसव १९ कोट्ठयबुद्धी २० पयाणुसारी २१ य । तह बीयबुद्धि २२ तेयग २३ आहारग २४ सीयलेसा २५ य ॥ ९४ ॥ वेउविदेहलद्धी २६ अक्खीणमहाणसी २७ पुलाया २८ य । परिणामतववसेणं एमाई हुँति लद्धीओ ॥ ९५ ॥ संफरिसणमामोसो मुत्तपुरीसाण विप्पुसो वावि (वयवा)। अन्ने विडित्ति Jain Education Interational For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org

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