Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 612
________________ प्रवचन सूत्रे ॥५१२॥ गा पत्तेयं आढयं वसाए उ । अद्धाढयं भणंति य पत्थं मत्थुलुयवत्थुस्स ॥ ८१॥ असुइमल पत्थछकं कुलओ कुलओ य २४७५३ पित्तसिंभाणं । सुक्कस्स अद्धकुलओ दुढे हीणाहियं होजा ॥ ८२॥ एक्कारस इत्थीए नव सोयाई तु हुँति पुरिसस्स । इय5 योनिम्ला किं सुइत्तणं अद्विमंसमलरुहिरसंघाए? ॥ ८३ ॥ २४७-२४८ द्वारम् ॥ न्यादीनि सम्मत्तंमि य लद्धे पलियपुहुत्तेण सावओ होइ । चरणोवसमखयाणं सायरसंखंतरा हुंति ॥ ८४ ॥ २४९ द्वारम् ॥ सत्तममहिनेरइया तेऊ वाऊ अणंतरबट्टा । न लहंति माणुसत्तं तहा असंखाउया सबे ॥ ८५ ॥ २५० द्वारम् ॥ १३६५-९५ वरिसाणं लक्खेहिं चुलसीसंखेहिं होइ पुर्वगं । एयं चिय एयगुणं जायइ पुर्व तयं तु इमं ॥८६॥ २५१ द्वारम् ॥ पुवस्स उ परिमाणं सयरिं खलु वासकोडिलक्खाओ। छप्पन्नं च सहस्सा बोद्धबा वासकोडीणं ॥ ८७ ॥२५२ द्वारम् ॥ दसजोयणाण सहसा लवणसिहा चक्कवालओ रुंदा । सोलससहस्स उच्चा सहस्समेगं तु ओगाढा ॥८८॥ २५३ द्वारम् ॥5 उस्सेहंगुल १ मायंगुलं च २ तइयं पमाणनामं च ३। इय तिन्नि अंगुलाई वावारिजति समयंमि ॥ ८९॥ सत्थेण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भेत्तुं च जं किर न सका । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥९०॥ परमाणू तसरेणू रहरेणू । 8 अग्गयं च वालस्स । लिक्खा जूया य जवो अट्ठगुणविवड्डिया कमसो ॥ ९१॥ वीसंपरमाणुलक्खा सत्तानउई भवे सह स्साई । सयमेगं बावन्नं एगंमि उ अंगुले हुंति ॥ ९२ ॥ परमाणू इच्चाइक्कमेण उस्सेहअंगुलं भणियं । जं पुण आयंगुलमेरिसेण तं भासियं विहिणा ॥ ९३ ॥ जे जंमि जुगे पुरिसा अट्ठसयंगुलसमूसिया हुंति । तेसिं जं नियमंगुलमायंगुलमेत्य P॥५१२॥ त होइ ॥ ९४ ॥ जे पुण एयपमाणा ऊणा अहिगा व तेसिमेयं तु । आयंगुलं न भन्नइ किंतु तदाभासमेवत्ति ॥ ९५ ॥ अंगुलं भणिया सेमेयं तु । समुसिया Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org

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