Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
अवचन ०
सूत्रे
।। ५०५ ॥
भ्रायम्मि उविज्जए सपरसद्दुर्गं ॥ ९४ ॥ तस्सवि अहो लिहिज्जइ काल १ जहिच्छा य २ पयदुगसमेयं । नियइ १ स्सहाव२ ईसर ३ अप्पति ४ इस पत्रकं ।। ९५ ।। पढमे अंगे जीवो नत्थि सओ कालओ तयणु बीए । परओऽवि नस्थि जीवो काला इय अंगगा दोनि ॥ ९६ ॥ एव जइच्छाईहिवि परहिं भंगडुगं दुगं पत्तं । मिलियावि ते दुवालस संपत्ता जीवतत्तेणं ॥ ९७ ॥ एवमजीवाईहिवि पत्ता जाया तओ उ चुलसीई । भैया अक्रिरियवाईण हुंति इमे सबसंखाए ॥९८॥ संत १ मसंतं २ संतासंत ३ मवत्तव ४ सय अवत्त ५ । असयअवत्तवं ६ सयसयवत्तबं ७ व सत्त पया ॥ ९९ ॥ जीवाइनवपयाणं अहोकमेणं इमाई ठविऊणं । जह कीरइ अहिलावो तह साहिज्जइ निसामेह ॥ १२०० ॥ संतो जीवो को जाणइ ? अहवा किं व तेण नाएणं ? । सेसपएहिवि भंगा इय जाया सप्त जीवस्स ॥ १ ॥ एवमजीवाईवि पत्तेयं सत्त मिलिय तेसट्ठी । तह अन्नेऽवि हु भंगा चत्तारि इमे उ इह हुंति ॥ २ ॥ संती भावुप्पत्ती को जाणइ किंच तीऍ नायाए ? । एवमसंती भावुप्पत्ती सदसत्तिया चेव ॥ ३ ॥ तह अवत्तधावि हु भावुप्पत्ती इमेहिं मिलिएहिं । भंगाण सत्तसट्ठी जाया अन्नाणियाण इमा ॥ ४ ॥ सुर १ निवइ २ जइ ३ नाई ४ थविरा ५ वम ६ माइ ७ पिइसु ८ एएसिं । मण १ वयण २ काय ३ दाणेहिं ४ चउविहो कीरए विणओ ॥ ५ ॥ अट्ठवि चउक्कगुणिया बत्तीस हवंति घेणइयभेया । सबेहिं पिंडिएहिं तिनि सया हुंति तेसट्ठा ॥ ६ ॥ २०६ द्वारम् ॥
माओ य मुणिदेहिं भणिओ अट्टभेयओ । अन्नाणं १ संसओ २ चैव मिच्छानाणं ३ तहेव य ॥ ७ ॥ रागो ४ दोसो ५ मइब्भंसो ६, धम्मंमि य अणायरो ७ । जोगाणं दुप्पणिहाणं ८, अट्ठहा वज्जियबओ ॥ ८ ॥ २०७ द्वारम् ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
२०४-७
सिद्धिविरहादीनि
गा.
११७९
१२०८
।। ५०५ ॥
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628