Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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घाय २३ कुविहायगई २४ थावरदसगेण होति चोत्तीसा ३४ । सबाओ मीलियाओ बासीई पावपयडीओ ८२॥ ८९॥151 २२० द्वारम् ॥ ___ भावा छच्चोवसमिय १ खइय २ खओवसम ३ उदय ४ परिणामा ५। दु २ नव ९ द्वारि १८ गयीसा २१ तिग ३ भेया सन्निवाओ य ॥९० ॥ सम्मचरणाणि पढमे दंसणनाणाई दाणलाभा य । उवभोगभोगवीरिय सम्मचरित्ताणि य बिइए ॥ ९१ ॥ चउनाणमणाणतिगं देसणतिग पंच दाणलद्धीओ । सम्मत्तं चारित्तं च संजमासंजमो तइए ॥ ९२॥ | चउगइ चउक्कसाया लिंगतिगं लेसछक्कमन्नाणं । मिच्छत्तमसिद्धत्तं असंजमो तह चउत्थम्मि ॥ ९३ ॥ पंचमगंमि य भावे जीवाभवत्तभवया चेव । पंचण्हवि भावाणं भेया एमेव तेवन्ना ॥ ९४ ॥ ओदयियखओवसमियपरिणामेहिं चउरो गइच
उक्के । खइयजुएहिं चउरो तदभावे उवसमजुएहिं ॥९५॥ एक्केको उवसमसेढिसिद्धकेवलिसु एवमविरुद्धा। पन्नरस सन्निवाPइयभेया वीसं असंभविणो॥९॥ दुगजोगो सिद्धाणं केवलिसंसारियाण तियजोगो। चउजोगजुअं चउसुवि गईसु मणुयाण
पणजोगो ॥ ९७ ॥ मोहस्सेवोवसमो खाओवसमो चउण्ह घाईणं । उदयक्खयपरिणामा अढण्हवि हुंति कम्माणं ॥९८॥ द सम्माइचउसु तिग चउ भावा चउ पणुवसामगुवसंते। चउ खीणऽपुवे तिन्नि सेसगुणठाणगेगजिए ॥ ९९ ॥२२१द्वारम् ॥
इह सुहुमबायरेगिंदियबितिचउ' असन्नि सन्नि पंचिंदी।पज्जत्तापज्जत्ता कमेण चउदस जियट्ठाणा ॥१३००॥२२२द्वारम्॥ धम्मा १ ऽधम्मा २ ऽऽगासा ३ तियतियभेया तहेव अद्धा य १० । खंधा ११ देस १२ पएसा १३ परमाणु १४ अजीव चउदसहा ॥१॥२२३ द्वारम् ॥
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