Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 592
________________ प्रवचन सूत्रे १८५-१९० कायस्थित्यादीनि ॥५०२॥ १०९४११२१ गाओ। गंधं रसं च फासं जोयणनवगाउ सेसाणि ॥ ८॥ अंगुल असंखभागा मुणंति विसयं जहन्नओ मोत्तुं । चक्खं तं | पुण जाणइ अंगुलसंखिज्जभागाओ ॥९॥ १८८ द्वारम् ॥ पुढवीआउवणस्सइवायरपत्तेसु लेस चत्तारि । गम्भे तिरियनरेसुं छल्लेसा तिन्नि सेसाणं ॥ १० ॥ १८९ द्वारम् ॥ एगेंदियजीवा जति नरतिरिच्छेसु जुयलवजेसुं । अमणतिरियावि एवं नरयमिवि जंति ते पढमे ॥११॥ तह संमुच्छिमतिरिया भवणाहिववंतरेसु गच्छंति । जं तेसिं उववाओ पलियासंखेजआऊसुं ॥ १२ ॥ पंचिंदियतिरियाणं उववाउकोसओ सहस्सारे । नरएसु समग्गेसुवि वियला अजुयलतिरिनरेसु ॥ १३ ॥ नरतिरिअसंखजीवी जोइसवजेसु जंति |देवेसु । नियआउयसमहीणाउएसु ईसाणअंतेसु ॥ १४॥ उववाओ तावसाणं उक्कोसेणं तु जाव जोइसिया । जावंति बंभलोगो चरगपरिवाय उववाओ॥ १५॥ जिणवयउक्किट्ठतवकिरियाहिं अभवभवजीवाणं। गेविजेसुक्कोसा गई जहन्ना भवणवईसु ॥ १६ ॥ छउमत्थसंजयाणं उववाउकोसओ अ सबढे। उववाओ सावयाणं उक्कोसेणऽचुओ जाव ॥ १७ ॥ उववाओ लंतगंमि चउदसपुबिस्स होइ उ जहन्नो । उक्कोसो सबढे सिद्धिगमो वा अकम्मस्स ॥ १८ ॥ अविराहियसामन्नस्स त साहुणो सावयस्सऽवि जहन्नो। सोहम्मे उववाओ वयभंगे वणयराईसुं॥१९॥ सेसाण तावसाईण जहन्नओ वंतरेसु| उववाओ। भणिओ जिणेहिं सो पुण नियकिरियठियाण विन्नेओ ॥२०॥ १९० द्वारम् ॥ नेरइयजुयलवजा एगिदिसु इति अवरगइजीवा । विगलत्तेणं पुण ते हवंति अनिरय अमरजुयला ॥ २१ ॥ हुंति हु ॥५०२॥ Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org

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