Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 588
________________ प्रवचन सूत्रे १६२-७२ पुद्गलपराव दीनि ॥५० ॥ १०४८-७० दिया कामरइसुहा तिविहं तिविहेण नवविहा विरई । ओरालियाउवि तहा तं बंभं अट्ठदसभेयं ॥१॥१६८ द्वारम् ॥ कामो चउवीसविहो संपत्तो खलु तहा असंपत्तो । चउदसहा संपत्तो दसहा पुण होअसंपत्तो ॥ १२॥ तत्थ असंपत्ते|ऽत्था १ चिंता २ तह सद्ध ३ संभरण ४ मेव । विक्कवय ५ लजनासो ६ पमाय ७ उम्माय ८ तब्भावो ९॥६३॥ मरणं च होइ दसमे १० संपत्तंपि य समासओ वोच्छं । दिट्ठीए संपाओ १ दिट्ठीसेवा २ य संभासो ३ ॥ ६४ ॥ हसिय ४ ललिओ ५ वगूहिय ६ दंत ७ नहनिवाय ८ चुंबणं ९ चेव । आलिंगण १० मादाणं ११ कर १२ सेवण १३ ऽणंगकीडा १४ य ॥६५॥ १६९ द्वारम् ॥ हा इंदिय ५ बल ३ ऊसासा १ उ १ पाण चउ छक्क सत्त अद्वैव । इगि विगल असन्नी सन्नी नव दस पाणा य बोद्धबा M॥६६॥ १७० द्वारम् ॥ का मत्तंगया य १ भिंगा २ तुडियंगा ३ दीव ४ जोइ ५ चित्तंगा ६ । चित्तरसा ७ मणियंगा ८ गेहागारा ९ अणियणा ६य १०॥ ६७ ॥ मत्तंगएसु मज्जं सुहपेज १ भायणा य भिंगेसु २ । तुडियंगेसु य संगयतुडियाई बहुप्पगाराई ३ ॥६८॥ दीवसिहा ४ जोइसनामगा य एए करेंति उज्जोयं ५। चित्तंगेसु य मलं ६ चित्तरसा भोयणट्ठाए ७॥ ६९ ॥ मणियंगेसु |य भूसणवराई ८ भवणाइ भवणरुक्खेसु ९ । तह अणियणेसु धणियं वत्थाई बहुप्पयाराई १०॥ ७० ॥ १७१ द्वारम् ॥ घम्मा १ वसा २ सेला ३ अंजण ४ रिट्ठा ५ मघा ६ य माधवई ७ । नरयपुढवीण नामाई हुंति रयणाई गोत्ताई ॥५० ॥ in Educh an intemeia For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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