Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
प्रवचन०
सूत्रे
॥ ४९० ॥
बाले १ वुढे २ नपुंसे य ३, कीवे ४ जड्डे य ५ वाहिए ६ । तेणे ७ रायावगारी य ८, उम्मत्ते य ९ अदंसणे १० ॥ ७९० ॥ दासे ११ दुडे य १२ मूढे य १३, अणत्ते १४ जुंगिए इय १५ । ओबद्धए य १६ भयए १७, सेहनिप्पेडिया इय १८ ॥ ७९१ ॥ १०७ द्वारम् ॥
जे अट्ठारस भैया पुरिसस्स तहित्थियाऍ ते चेव । गुबिणी १ सबालवच्छा २ दुन्नि इमे हुंति अन्नेवि ॥ ७९२ ॥ | १०८ द्वारम् ॥
पंडए १ वाइए २ कीवे ३, कुंभी ४ ईसालुयत्ति य ५ । सउणी ६ तक्कमसेवी ७ थ, पक्खियापक्खिए ८ इय ॥ ७९३ ॥ सोगंधिए य ९ आसत्ते १०, दस एते नपुंसगा । संकिलिट्ठित्ति साहूणं, पद्यावेउं अकप्पिया ॥ ७९४ ॥ १०९ द्वारम् ॥
हत्थे पाए कन्ने नासा उट्ठे विवज्जिए चेव । वामणगवडभखुज्जा पंगुलटा य काणा य ॥ ७९५ ॥ पच्छावि होंति वियला आयरियत्तं न कप्पर तेसिं । सीसो ठावेयचो काणगमहिसोव निम्मंमि ॥ ७९६ ॥ ११० द्वारम् ॥
मुल्लजुयं पुण तिविहं जहन्नयं मज्झिमं च उक्कोसं । जहनेणऽङ्कारसगं सयसाहस्सं च उक्कोसं ॥ ७९७ ॥ दो साभरगा दीविच्चगा उ सो उत्तरावहो एक्को । दो उत्तरावहा पुण पाडलिपुत्तो हवइ एक्को । ७९८ ।। दो दक्खिणावहा वा कंचीए नेलओ स दुगुणाओ । एक्को कुसुमनगरओ तेण पमाणं इमं होइ ॥ ७९९ ॥ १११ द्वारम् ॥
सेज्जायरो पहू वा पहुसंदिट्ठो य होइ कायबो । एगो णेगे य पहू पहुसंदिट्ठेवि एमेव ॥ ८०० ॥ सागारियसंदिट्ठे एगम| णेगे चउक्कभयणा उ । एगमणेगा वज्जा णेगेसु य ठावए एगं ॥ ८०१ ॥ अन्नत्थ वसेऊणं आवस्सग चरिममन्नहिं तु करे ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
१०४-१११ विहारादी
नि गा. ७७६-८०१
॥ ४९० ॥
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628