Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 581
________________ बारस सत्तय तिन्निय सत्त य कुलकोडिसयसहस्साई । नेया पुढविदगागणिवाऊणं चैव परिसंखा ॥ ९६३ ॥ कुलकोडिसयसहस्सा सत्त य नव य अट्ठवीसं च । बेइंदियतेइंदियचउरिंदियहरियकायाणं ॥ ९६४ ॥ अद्धत्तेरस वारस दस | दस नव चैव सयसहस्साइं । जलयरपक्खिचउप्पयउरभुयसप्पाण कुलसंखा ।। ९६५ ।। छबीसा पणवीसा सुरनेरइयाण सयसहस्साई । बारस य सयसहस्सा कुलकोडीणं मणुस्साणं ॥ ९६६ ॥ एगा कोडाकोडी सत्ताणउई भवे सयसहस्सा । | पन्नासं च सहस्सा कुलकोडीणं मुणेयवा ॥ ९६७ ॥ १५० द्वारम् ॥ पुढविदगअगणिमारुय एक्केके सत्त जोणिलक्खाओ । वणपत्तेयअणते दस चउदस जोणिलक्खाओ ।। ९६८ ।। विग लिंदिएसु दो दो चउरो चउरो य नारयसुरेसुं । तिरिए होंति चउरो चउदस लक्खा उ मणुएसु ॥ ९६९ ॥ समवन्नाइ|समेया बहवोऽवि हु जोणिलक्खभेयाओ । सामन्ना घिप्पंतिह एकगजोणीइ गहणेणं ॥ ९७० ॥ १५१ द्वारम् ॥ त्रैकाल्यं ३ द्रव्यषट्कं ६ नवपदसहितं जीवपट्रकायलेश्याः ६, पञ्चान्ये चास्तिकाया ५ व्रत ५ समिति ५ गति ५ ज्ञान५ चारित्र ५ भेदाः । इत्येते मोक्षमूलं त्रिभुवनमहितैः प्रोक्तमर्हद्भिरीशैः, प्रत्येति श्रद्दधाति स्पृशति च मतिमान् यः स वै शुद्धदृष्टिः ॥ ९७९ ॥ यस्स विवरणमिणं तिक्कालमईयवट्टमाणेहिं । होइ भविस्सजुएहिं दबच्छकं पुणो एयं ॥ ९७२ ॥ धम्मत्थिकायदवं १ दवमहम्मत्थिकायनामं २ च । आगास ३ काल ४ पोग्गल ५ जीवदवस्सरूवं च ६ ॥ ९७३ ॥ जीवा१ जीवा २ पुन्नं ३ पावा ४ ऽऽसव ५ संवरो य ६ निज्जरणा ७ । बंधो ८ मोक्खो ९ य इमाई नव पयाइं जिणमयम्मि ॥ ९७४ ॥ जीवच्छकं इग १ बि २ ति ३ च ४ पणिंदिय ५ अनिंदियसरूवं ६ । छक्काया पुढवि १ जला २ नल ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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