Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 576
________________ प्रवचन सूत्रे १३७-४२ स्त्रीमानादीनि गा. ८८३-९०६ ॥४९४॥ कालतियं ३ वयणतियं ६ लिंगतियं ९ तह परोक्ख १० पच्चक्खं ११ । उवणयऽवणयचउक्कं १५ अज्झत्थं चेव १६ सोलसमं ॥ ८९६ ॥ १४० द्वारम् ॥ __ मासा य पंच सुत्ते नक्खत्तो १ चंदिओ २ य रिउमासो ३ । आइच्चोऽविय अवरो ४ ऽभिवडिओ तह य पंचमओ ५ ॥८९७॥ अहरत्त सत्तवीसं तिसत्तसत्तविभाग नक्खत्तो २७ ।। चंदो अउणत्तीसं बिसट्ठिभाया य बत्तीसं२९॥३॥८९८॥ | ४| उउमासो तीसदिणो ३० आइच्चो तीस होइ अद्धं च ३०।। अभिवडिओ य मासो चउवीससएण छेएणं ॥ ८९९ ॥ |भागाणिगवीससयं तीसा एगाहिया दिणाणं तु ३१ । १३ । एए जह निप्फत्तिं लहंति समयाउ तह नेयं ॥९०० ॥ १४१ द्वारम् ॥ __ संवच्छरा उ पंच उ चंदे १ चंदे २ ऽभिवड्डिए ३ चेव । चंदे ४ ऽभिवडिए ५ तह बिसद्विमासेहिं जुगमाणं ॥९०१॥ |१४२ द्वारम् ॥ __ माघवईऍ तलाओ ईसिंपन्भारउवरिमतलं जा । चउदसरजू लोगो तस्साहो वित्थरे सत्त ॥ ९०२॥ उवरिं पएसहाणी |ता नेया जाव भूतले एगा। तयणुप्पएसवुड्डी पंचमकप्पंमि जा पंच ॥९०३॥ पुणरवि पएसहाणी जा सिद्धसिलाएँ एक्कगा तारजू । घम्माए लोगमज्झो जोयणअस्संखकोडीहिं ॥९०४॥ हेटाहोमुहमल्लगतुल्लो उवरिं तु संपुडठियाणं । अणुसरह मल्लगाणं लोगो पंचत्थिकायमओ ॥ ९०५ ॥ तिरियं सत्तावन्ना उहुं पंचेव हुंति रेहाओ । पाएसु चउसु रजू चउदस रजू |य तसनाडी ॥ ९०६॥ तिरियं चउरो दोसु छ दोसुं अट्ठ दस य इक्किक्के । वारस दोसुं सोलस दोसुं वीसा य चउसुंपि ॥४९४॥ in Education Intematon For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org

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