Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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उवगरणाई चउद्दस अचोलपट्टाई कमढयजुयाई । अज्जाणवि भणियाइं अहियाणिवि हुंति ताणेवं ॥ ५२८ ॥ उग्गहSणंतग १ पट्टो २ अड्डोरुय ३ चलणिया ४ य बोद्धवा । अब्भिंतर ५ बाहिनियंसणी ६ य तह कंचुए ७ चेव ॥ ५२९ ॥ उक्कच्छिय ८ वेगच्छिय ९ संघाडी १० चेव खंधगरणी ११ य । ओहोवहिंमि एए अज्जाणं पन्नवीसं तु ॥ ५३० ॥ अह उग्गहणंतगं नावसंठियं गुज्झदेसरक्खट्टा । तं तु पमाणेणेक्कं घणमसिणं देहमासज्ज ॥ ५३१ ॥ पट्टोऽवि होइ एगो देहपमाणेण सो उ भइयो । छायंतोग्गहणंतं कडिबद्धो मल्लकच्छा व ॥ ५३२ ॥ अद्धोरुगोवि ते दोवि गिव्हिडं छायए कडीभागं । जाणुपमाणा चलणी असीविया लंखियाए व ॥ ५३३ ॥ अंतोनियंसणी पुण लीणतरी जाव अद्धजंघाओ । बाहिरगा जा खलुगा कडीइ दोरेण पडिबद्धा ॥ ५३४ ॥ छाएइ अणुकुइए उरोरुहे कंचुओ असिबियओ । एमेव य ओकच्छिय सा नवरं दाहिणे पासे ॥ ५३५ ॥ वेगच्छिया उ पट्टो कंचुगमुक्कच्छिगं च छायंतो । संघाडीओ चउरो तत्थ दुहत्था उवसयंमि ॥ ५३६ ॥ दोन्नि तिहत्थायामा भिक्खट्टा एग एगमुच्चारे। ओसरणे चउहत्थाऽनिसण्णपच्छायणा मसिणा ॥ ५३७ ॥ | खंधकरणी उ चउहत्थवित्थडा वायविहुयरक्खट्ठा | खुज्जकरणी उकीरइ रुववईणं कुडहहेऊ ॥ ५३८ ॥ ६२ द्वारम् ॥
जिणकप्पिया य साहू उक्कोसेणं तु एगवसहीए । सत्त य हवंति कहमवि अहिया कइयावि नो हुंति ॥५३९ ॥ ६३ द्वारम् ॥ अविहा गणिive चग्गुणा नवरि हुति बत्तीसं । विणओ य चउन्भेओ छत्तीस गुणा इमे गुरुणो ॥ ५४० ॥ आयार १ सुय २ सरीरे ३ वयणे ४ वायण ५ मई ६ पओगमई ७ । एएसु संपया खलु अट्ठमिया संगहपरिण्णा ८ (१) ॥ ५४१ ॥ चरणजुओ मयरहिओ अनिययवित्ती अचंचलो चेव (४) । जुग परिचिय उस्सग्गी उदत्तघोसाइ विन्नेओ (८) ॥ ५४२ ॥
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