Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 561
________________ PASRC सुत्ते १ अत्थे २ भोयण ३ काले ४ आवस्सए य ५ सज्झाए ६ । संथारे ७ चेव तहा सत्तेया मंडली जइणो ॥६९२॥ ८७ द्वारम् ॥ IPL मण १ परमोहि २ पुलाए ३ आहारग ४ खवग ५ उवसमे ६ कप्पे ७। संयमतिय ८ केवल ९ सिज्झणा १० य जंबुमि वोच्छिन्ना ॥ ६९३ ॥८८ द्वारम् ॥ ___ अण मिच्छ मीस सम्मं अट्ठ नपुंसित्थीवेय छक्कं च । पुंवेयं च खवेई कोहाईएवि संजलणे ॥ ६९४ ॥ कोहो माणो माया लोहोऽणंताणुबंधिणो चउरो । खविऊण खवइ संढो मिच्छं मीसं च सम्मत्तं ॥ ६९५ ॥ अप्पच्चक्खाण चउरो पच्चक्खाणे य सममवि खवेइ । तयणु नपुंसगइत्थीवेयदुर्ग खविय खवइ समं ॥ ६९६ ॥ हासरइअरइपुंवेयसोयभयजुयदुगुंछ सत्त | इमा। तह संजलणं कोहं माणं मायं च लोभं च ॥ ६९७ ॥ तो किट्टीकयअस्संखलोहखंडाई खविय मोहखया । पावइ लोयालोयप्पयासयं केवलं नाणं ॥ ६९८ ॥ नवरं इत्थी खवगा नपुंसर्ग खविय खवइ थीवेयं । हासाइछगं खविउ खवइ सवेयं नरो खवगो ॥ ६९९ ॥ ८९ द्वारम् ॥ ___ अणदंसनपुंसित्थीवेय छकं च पुरिसवेयं च । दो दो एगंतरिए सरिसे सरिसं उवसमेइ ॥७००॥ कोहं माणं मायं लोभ मणताणुबंधमुवसमइ । मिच्छत्तमिस्ससम्मत्तरूवपुंजत्तयं तयणु ॥७०१॥ इत्थिनपुंसगवेए तत्तो हासाइछक्कमेयं तु । हासो दारई य अरइ य सोगो य भयं दुगुंछा य ॥ ७०२ ॥ तो पुंवेयं तत्तो अप्पच्चक्खाणपच्चखाणा य । आवरणकोहजुयलं पस२ मइ संजलणकोहंपि ॥ ७०३ ॥ एयकमेण तिन्निवि माणे माया उ लोहतियगंपि । नवरं संजलणाभिहलोहतिभागे इय| MAAHARIRAJAAPANG व Jan Education Intemani For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org

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