Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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भमणे मज्झे मुक्कमि भन्नए पेडा ५। दिसिदुगसंबद्धस्सेणिमिक्खणे अद्धपेडत्ति ६ ॥७४८॥ अभितरसंबुक्का जीए भमिरो दाबहिं विणिस्सरइ ७ । बहिसंबुक्का भन्नइ एयं विवरीयमिक्खाए ८॥ ७४९ ॥ ९७ द्वारम् ॥ ___ आलोयण १ पडिकमणे २ मीस ३ विवेगे ४ तहा विउस्सग्गे ५ । तव ६ छेय ७ मूल ८ अणवडिया य ९ पारं
चिए चेव १० ॥ ७५० ॥ आलोइजइ गुरुणो पुरओ कजेण हत्थसयगमणे १ । समिइपमुहाण मिच्छाकरणे कीरइ पडिहै कमणं २॥ ७५१ ॥ सदाइएसु रागाइविरयणं साहिउं गुरूण पुरो । दिजइ मिच्छादुक्कडमेयं मीसं तु पच्छित्तं ३ ॥७५२॥
कजो अणेसणिजे गहिए असणाइए परिच्चाओ ४ । कीरइ काउस्सग्गो दिढे दुस्सविणपमुहंमि ५॥ ७५३ ॥ निधिगयाई दिजइ पुढवाइविघट्टणे तवविसेसो ६ । तवदुद्दमस्स मुणिणो किज्जइ पज्जायवुच्छेओ७॥ ७५४ ॥ पाणाइवायपमुहे पुणवयारोवणं विहेय ८ ठाविज्जइ न वएसुं कराइघायप्पट्ठमणो ९॥७५५ ॥ पारंचियमावजइसलिंगनिवभारियाइसेवाहिं । अबत्तलिंगधरणे बारसवरिसाई सूरीणं १०॥ ७५६ ॥ नवरं दसमावत्तीऍ नवममज्झावयाण पच्छित्तं । छम्मासे
जाव तयं जहन्नमुक्कोसओ वरिसं ॥ ७५७ ॥ दस ता अणुसजंती जा चउदसपुवि पढमसंघयणी । तेण परं मूलंतं दुप्पहै सहो जाव चारित्ती ॥ ७५८ ॥ ९८ द्वारम् ॥
सामायारी ओहंमि ओहनिज्जुत्तिजंपियं सर्व ९९ द्वा.। सा पयविभागसामायारी जा छेयगंथुत्ता ।।७५९॥१०० द्वारम् ॥
इच्छा १ मिच्छा २ तहकारो ३, आवस्सिया य ४ निसीहिया ५ । आपुच्छणा य ६ पडिपुच्छा ७, छंदणा य ८ निमतणा ९॥७६०॥ उवसंपया य १० काले, सामायारी भवे दसविहा उ । एएसिं तु पयाणं, पत्तेय परूवणं वोच्छं ॥७६१॥
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