Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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अक्वन
॥४८७॥
| च्छिन्न
विसेसो ॥७०४॥ संखेयाई किट्टीकयाई खंडाई पसमति कमेणं । पुणरवि चरिम खंडं असंखखंडाई काऊण ॥७०५॥
८७-९२ अणुसमवं एकेक उवसामइ इह हि सत्सगोवसमे । होइ अपुवो तत्तो अनियट्टी होइ नपुमाइ ॥७०६॥ पसमंतो जा
मंडलीव्यु संखेबलोहखंडाओं चरिमखंडस्स । संखाईए खंडे पसमतो सुहुमराओ सो॥ ७०७ ॥ इय मोहोवसमम्मी कयम्मि उघसंतमोहगुणठाणं । सबट्ठसिद्धिहेउं संजायइ वीवरायाणं ॥७०८ ॥९०द्वारम् ॥
श्रेण्यादी । अणावायमसंलोए १, परस्साणुवघायए २। समे ३ अज्झुसिरे यावि ४, अचिरकालकयमि ५ य ॥ ७०९॥ विच्छिन्ने I गा.
दुरमोगाढे ७, नासन्ने ८ बिलवज्जिए ९ । तसपाणबीयरहिए १०, उच्चाराईणि वोसिरे ॥ ७१०॥ ९१ द्वारम् ॥ ४६९२-७१ | उप्पायं पढमं पुण एक्कारसकोडिपयपमाणेणं । बीब अग्गाणीय छन्नउई लक्खपयसंखं ॥ ७११ ॥ विरियप्पवायपुवं सत्तरिपयलक्खलक्खियं तइयं । अत्थियनत्थिपवायं सट्ठीलक्खा चउत्थं तु ॥ ७१२॥ नाणप्पवायनाम एवं एगणकोडिपयसंखं । सच्चप्पवायपुवं छप्पयअहिएगकोडीए ॥७१३ ॥ आयप्पवायपुवं पयाण कोडी उ हुंति छत्तीसं । कम्मप्पवाय-| गवरं असीइ लक्खहिय पयकोडी ॥७१४॥ नवमं पच्चक्खाणं लक्खा चुलसी पयाण परिमाणं । विजप्पवाय पनरस सहस्स एक्कारस उ कोडी ॥७१५॥ छबीसं कोडीओ पयाण पुबे अवंझणामंमि । छप्पन्न लक्ख अहिया पयाण कोडी उ पाणाऊ3 ॥ ७१६ ॥ किरियाविसालपुवं नव कोडीओ पयाण तेरसमं । अद्धत्तेरसकोडी चउदसमे बिंदुसारम्मि ॥ ७१७ ॥ पढमं |आयारंगं अट्ठारस पयसहस्सपरिमाणं । एवं सेसंगाणवि दुगुणादुगुणप्पमाणाई ॥ ७१८ ॥ ९२ द्वारम् ॥
पंच नियंठा भणिया पुलाय १ बउसा २ कुसील ३ निग्गंथा ४। होइ सिणाओ य ५ तहा एकेको सो भवे दुविहो
कोहएगकोडीचार्य सट्टीलगाय छन्न
४८७
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