Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 547
________________ VIवजियाणं विसद्धजिणकप्पियाणं तु ॥ ४९७ ॥ तवेण सत्तेण, सुत्तेण एगत्तेण बलेण य । तुलणा पंचहा वुत्ता, जिणकप्पं| पडिवजओ ॥ ४९८ ॥ ६० द्वारम् ॥ एए चेव दुवालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो उ । एसो चउदसरूवो उवही पुण थेरकप्पमि ॥ ४९९ ॥ तिणि विहत्थी 8 चउरंगुलं च भाणस्स मज्झिमपमाणं । एत्तो हीण जहन्नं अइरेगयरं तु उक्कोसं ॥ ५०० ॥ पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणेण | होइ काय । जह गंठिमि कयंमि कोणा चउरंगुला हुंति ॥ ५०१॥ पत्तगठवणं तह गुच्छगो य पायपडिलेहणी चेव ।। तिण्हपि उ प्पमाणं विहत्थि चउरंगुलं चेव ॥ ५०२॥ अड्डाइजा हत्था दीहा छत्तीसअंगुले रुंदा । बीयं पडिग्गहाओढू | ससरीराओ य निष्फण्णं ॥ ५०३ ॥ कयलीगब्भदलसमा पडला उक्किट्ठमज्झिमजहण्णा । गिम्हे हेमंतंमि य वासासु |य पाणरक्खडा । ५०४॥ तिण्णि चउ पंच गिम्हे चउरो पंचच्छगं च हेमंते । पंच च्छ सत्त वासासु होति घणमसिणरूवा ते ॥ ५०५॥ माणं तु रयणत्ताणे भाणपमाणेण होइ निप्फन्नं । पायाहिणं करतं मज्झे चउरंगुलं कमइ ॥ ५०६ ॥ कप्पा आयपमाणा अड्डाइजा य वित्थडा हत्था । दो चेव सुत्तियाओ उण्णिय तइओ मुणेयवो ॥५०७ ॥ बत्तीसंगुलदीहं चउवीसं अंगुलाई दंडो से । अटुंगुला दसाओ एनयरं हीणमहियं वा ॥ ५०८ ॥ चउरंगुलं विहत्थी एवं मुहणंत-15 गस्स उ पमाणं । बीओऽवि य आएसो मुहप्पमाणेण निष्फण्णं ॥ ५०९॥ जो मागहओ पत्थो सविसेसयरं तु मत्तगपमाणं । दोसुवि दवग्गहणं वासावासे य अहिगारो ॥ ५१०॥ सूवोयणस्स भरियं दुगाउअद्धाणमागओ साहू । भुंजइ एगट्ठाणे एवं किर मत्तगपमाणं ॥५११॥ दुगुणो चउग्गुणो वा हत्थो चउरस्स चोलपट्टो उ । थेरजुवाणाणट्ठा सण्हे Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org

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