Book Title: Pravachan Saroddhar Uttararddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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प्रवचन०
सूत्रे
॥ ४८५ ॥
मगाणं तु इमं कडं जमुद्दिस्स तस्स चेवत्ति । नो कप्पइ सेसाणं तु कप्पइ तं एस मेरत्ति ॥ ६५३ ॥ सपडिक्कमणो धम्मो | पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स । मज्झिमयाण जिणाणं कारणजाए पडिकमणं ॥ ६५४ ॥ असणाइचक्कं वत्थपत्तकंबलयपायपुंछणए । निवपिंडंमि न कप्पति पुरिमअंतिमजिणजईणं ॥ ६५५ ।। पुरिमेयरतित्थकराण मासकप्पो ठिओ | विणिद्दिट्ठी । मज्झिमगाण जिणाणं अट्ठियओ एस विष्णेओ ।। ६५६ ॥ पज्जोसवणाकप्पो चेवं पुरिमेयराइभेएणं । उक्को| सेयरभेओ सो नवरं होइ विनेओ ।। ६५७ ॥ चाउम्मासुकोसो सत्तरि राईदिया जहन्नो उ । थेराण जिणाणं पुण नियमा उक्कोसओ चैव ॥ ६५८ ।। ७८ द्वारम् ॥
भत्ती १ मंगलचेइय २ निस्सकड ३ अनिस्सकडचेइयं ४ वावि । सासयचेइय ५ पंचममुवइट्टं जिणवरिंदेहिं ॥ ६५९ ॥ गिहि जिणपडिमाए भत्तिचेइयं १ उत्तरंगघडियंमि । जिणबिंबे मंगलचेइयंति २ समयन्नृणो बिंति ॥ ६६० ॥ निस्सकडं जं गच्छस्स संतियं ३ तदियरं अनिस्सकडं ४ | सिद्धाययणं च ५ इमं चेइयपणगं विणिहि ॥ ६६१ ॥ नीयाई सुरलोए |भत्तिकयाइं च भरहमाईहिं । निस्सानिस्सकयाई मंगलकयमुत्तरंगंमि ॥ ६६२ ॥ वारत्तयस्स पुत्तो पडिमं कासीय चेइए | रम्मे । तत्थ य थली अहेसी साहम्मियचेइयं तं तु ॥ ६६३ ॥ ७९ द्वारम् ॥
गंडी १ कच्छवि २ मुट्ठी ३ संपुड़फलए ४ तहा छिवाडी य ५ । एयं पोत्थयपणगं वक्खाणमिणं भवे तस्स ॥ ६६४ ॥ बाहल्लपुहुत्तेहिं गंडीपोत्थो उ तुलगो दीहो १ । कच्छवि अंते तणुओ मज्झे पिहुलो मुणेयवो ॥ ६६५ ॥ चउरंगुलदीहो वा वट्टागिइ मुट्ठिपुत्थगो अहवा । चउरंगुलदीहो च्चिय चउरंसो होइ विन्नेओ ॥ ६६६ || संपुडगो दुगमाई फलया वोच्छं
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अशुभभावनादीनि ७३-९
।। ४८५ ।।
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