Book Title: Pratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Author(s): Sakalchandra Gani, Somchandravijay
Publisher: Nemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
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अञ्जन प्र.कल्प
॥१९॥
-: अथ द्वितीयदिनविधि :
-: श्री लघु नन्द्यावर्तपूजनविधि :प्रथम नंद्यावर्तनू आलेखन:
नंद्यावर्तनो पट्ट तैयार मळे तो ठीक नहीं तो नीचे प्रमाणे आलेखन करवू. कपूर, केसर, अने सुखड वगेरे सात लेपनथी लिप्त करेला श्रीपर्ण (सेवन) ना पाटला उपर के सुशोभितवस्त्रना पट्ट उपर मध्य भागथी सूत्रभ्रमण करता पूर्व आठ वलय करवा.
पहेला वलयमां:
अष्टगंधथी नवखूणी प्रदक्षिणाए "नंद्यावत" आलेखो, तेना मध्य भागमा जिनप्रतिमाने स्थापवी के चितववी अने तेनी जमणी बाजुए 'शकेन्द्र' अने 'श्रुतदेवता' नेमज डाबी बाजुए 'ईशानेन्द्र' अने 'शांति देवता' नुं आलेखन करवु.
बीजा वलयमां:-आठे दिशाओमां अनुक्रमे नीचे प्रमाणे लखवु:5 १ ॐ नमोऽहं यः; २ ॐ नमः सिद्धेभ्यः; ३ ॐ नम आचार्येभ्यः; ४ ॐ नम उपाध्यायेभ्यः, ॐ नमः सर्वF| साधुभ्यः; ६ ॐ नमो ज्ञानेभ्यः, ७ ॐ नमो दर्शनेभ्यः; ८ ॐ नमश्चारित्रेभ्यः ॥
१६४ इन्द्र-इन्द्राणीना नामो सहित दस वलयवाळो पट्ट होई तो ते रीतनी -'बिंब प्रवेश विधि' आदिमा आवती नंद्यावर्त पूजननी विधि परिशिष्ट नः १४ मां आपेली छे.
॥१९॥
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