Book Title: Pratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Author(s): Sakalchandra Gani, Somchandravijay
Publisher: Nemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
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अञ्जन प्र.कल्प
॥ २३॥
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त्रीजा प्राकारना पूर्वादिक द्वारोमाः-हाथमां लाकडी वाळा चार तुंवरुने आलेखवा. ___ पछी पहेला गोळ प्राकारमा:-आग्नेयादि विदिशाओमांत्रण त्रण एम बार सभाओमां अनुक्रमे १ साधुः २ साध्वी ३ वैमानिक देवी ॥ ४ भवनपति देवी; ५ व्यंतर देवी, ६ ज्योतिष्क देवी ॥ ७ भवनपति देवः ८ व्यंतर देवः ९ ज्योतिष्क | देव. । १० वैमानिक देव; ११ मनुष्य अने १२ मनुष्य स्त्री-आम बार पर्षदा आलेखबी.
बीजा प्राकारमा तिर्यचो आलेखवा. त्रीजा प्राकारमां-देव अने मनुष्योनां वाहन विगेरे आलेखवा, प्राकारोना चारे दरवाजे बने बाजु पर कमळवनोथी शोभित वायो आलेखवी. पछी वज्रना चिह्नवाळ इन्द्र पुर आलेखीने दिशाओमां& "परविद्याः क्षः फुट्" अने विदिशाओमां "परमन्त्राः क्षः फुट्" एम आलेख. चारे खूणामां चार पूर्ण कळशो आलेखी तेनी बहार वायुभवन आलेख.
॥ इति नन्द्यावर्तनी आलेखन विधि ॥
॥२३॥
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