Book Title: Pratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Author(s): Sakalchandra Gani, Somchandravijay
Publisher: Nemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
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अञ्जन प्र.कल्प
॥२५॥
बीजा वलयमां:-अहंदादि आठवें पूजन नीचेना मंत्रोथी करवूः
१ ॐ नमोऽर्हद्भ्यः; २ ॐ नमः सिद्धेभ्यः; ३ ॐ नम आचार्येभ्यः; ४ ॐ नम उपाध्यायेभ्यः; ५ ॐ नमः BI सर्वसाधुभ्यः; ६ ॐ नमो दर्शनेभ्यः; ७ ॐ नमो ज्ञानेभ्यः; ८ ॐ नमश्चारित्रेभ्यः॥
जीजा वलयमांः-२४ तीर्थकरोनी माताओगें पूजन नीचेना मंत्राक्षरोथी करवु:--
१ ॐ मरुदेवाए नमः, २ ॐ विजयाए नमः; ३ ॐ सेणाए नमः; ४ ॐ सिद्धत्थाए नमः, ५ ॐ मंगलाए नमः ६ ॐ सुसीमाए नमः ७ ॐ पुहवीए नमः ८ ॐ लक्खणाए नमः ९ ॐ रामाए नमः १० ॐ नंदाए नमः ११ ॐ विण्हए
नमः, १२ ॐ जयाए नमः, १३ ॐ सामाए नमः, १४ ॐ सुजसार नमः, १५ ॐ सुब्बयाए नमः, १६ ॐ अचिराए ४ नमः, १७ ॐ सिरीए नमः, १८ ॐ देवीए नमः, १९ ॐ पभावईए नमः, २० ॐ परमावईए नमः २१ ॐ वप्पाए | नमः, २२ ॐ सिवाए नमः, २३ ॐ वामाए नमः, २४ ॐ तिसलाए नमः॥
चोथा वलयमां:--सोळ विद्यादेवीओ- पूजन नीचेना मंत्राक्षरोथी करवू.
१ ॐ रोहिणीए नमः; २ ॐ पन्नत्तीए नमः ३ ॐ वज्जसिंखलाए नमः ४ ॐ वज्जंकुसीए नमः ५ ॐ अपडिचक्काए नमः ६ ॐ पुरिसदत्ताए नमः ७ ॐ कालीए नमः, ८ ॐ महाकालीए नमः; ९ ॐ गोरीए नमः, १० ॐ गंधारीए नमः, ११ ॐ सब्बत्थमहाजालाए नमः १२ ॐ माणवीए नमः, १३ ॐ वेरूटाए नमः, १४ ॐ अच्छुत्ताए
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॥२५॥
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