Book Title: Pratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Author(s): Sakalchandra Gani, Somchandravijay
Publisher: Nemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
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अञ्जन
प्र. कल्प
॥९३॥
२४
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अथ अष्टमदिन विधिः
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पुत्रजन्मवधामणाः-
जन्मकल्याणकना विधान बाद प्रियंवदादासी राजा पासे जाय. अने
अस्मिन्नवसरे राज्ञे, दासी नाम्ना प्रियंवदा । तं पुत्रजननोदन्तं गत्वा शीघ्रं न्यवेदयत् ॥ (अनु.) आ श्लोकद्वारा त्यां पुत्रजन्मनो वृत्तांत जणावे.
-: अढारअभिषेकविधिः
राजा ( अहीं श्रावको ) पण महोत्सवपूर्वक वार दिवस सुधी पुत्र जन्म संबंधी क्रिया करे, तेमां पहेला अहार प्रकरनां स्नात्रथी शुद्धि करे एटले के एक नवी कुंडीमां पवित्र जल लेबुं तेमां वास, चंदन, पुष्प वगेरे थोडां नांखी जे जे प्रकारनुं स्नात्र करवानुं होय ते ते स्नात्रचूर्ण उमेरी तेना चार कळशो भरवा पछी जिनमुद्राथी देवसन्मुख उभा रहीने दरेक स्नात्र माटे नीचे आपेलां काव्यो तेमज गीत, गान, पंचशब्द वाजिंत्रो
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