Book Title: Padmavati
Author(s): Mohanlal Sharma
Publisher: Madhyapradesh Hingi Granth Academy

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका हिन्दी ग्रन्थ अकादमी ने एक ऐसे विषय पर लिखने का कार्य सौंपा था, जिसके विषय में लोगों की जानकारी अत्यल्प तो है ही, विद्वानों को भी इसके विषय में बहुत कुछ जानना शेष है | पद्मावती प्राचीन भारत का एक वैभवशाली नगर था । इसकी ख्याति भारत के कोने-कोने तक जा चुकी थी । राजनैतिक दृष्टि से पद्मावती किसी-नकिसी रूप में सर्व-प्रभुत्व-सम्पन्न जनतंत्रात्मक गणराज्य की आदिम परिभाषा के अन्तर्गत आ जाता है । कुषाण, नवनाग, गुप्त, प्रतिहार और परिहार एक-एक करके आये और चले गये । उसने यवन-सभ्यता के प्रभाव को देखा, मुस्लिम सभ्यता के प्रभाव को भी निरखा-परखा, किन्तु अपने प्राचीन वैभव को कभी भुलाया नहीं । भारशिव वंश की मानमर्यादा की रक्षा की और आज भी अपने भग्नावशेषों में प्राचीन वैभव को सँजोये हुए, मध्यदेश और प्राचीन भारत के गौरव को साकार कर रही है । मध्यदेश का यह महान् सांस्कृतिक केन्द्र विद्या के क्षेत्र में कहीं आगे निकल चुका था । विषय की उपादेयता पद्मावती भारत की प्राचीन संस्कृति की संचित निधि है । आज भी यह भारत के प्राचीन गौरव का गुणगान कर रही है । अपने अन्तर में प्राचीन इतिहास के अनेक साक्ष्य सँजोये हुए है जो सम्पूर्ण देश के और विशेषकर मध्यदेश के प्राचीन वैभव की कहानी कह रहे हैं । इतिहासकारों ने भारत के जिस युग की अस्पष्ट और धूमिल कहानी कह कर अवहेलना कर दी, पद्मावती ने उसके विपरीत साक्ष्य प्रस्तुत किये और इस बात का संकेत दिया कि यह युग अवहेलनीय नहीं है। परवर्ती इतिहासकारों ने इस युग को भारतीय संस्कृति का निर्माण-काल कहा है जो बहुत-कुछ उचित प्रतीत होता है । इस युग में धर्म और संस्कृति के जिस स्वरूप की नींव पड़ गयी, आगामी बीस शताब्दियों में भी वह नींव का पत्थर हिल तो गया किन्तु उखड़ा नहीं । बीसवीं शताब्दी का भारत आज भी संस्कृति, राजनीति और धर्म में पद्मावती के उस प्राचीन आदर्श को अपना रहा है । पद्मावती के उत्खनन कार्य के द्वारा कुछ तथ्यों पर प्रकाश पड़ा है, किन्तु आशा इस बात की लगायी जा रही है कि प्राचीन संस्कृति का यह केन्द्र अभी और तथ्य और साक्ष्य उगलेगा, जिससे प्राचीन इतिहास का चित्र और भी निखर कर हमारे सामने आयेगा । इस दृष्टि से पद्मावती का महत्व और भी बढ़ जायेगा । -नौ For Private and Personal Use Only

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