Book Title: Nandanvan Kalpataru 2016 05 SrNo 35
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 23
________________ राज्ये जातौ कुले विभक्ताः ये चुलुकोपमभाषाभक्ताः राष्ट्रियतार्थं नो जानाना धिक्तादृक्षं जीवनम् बूते धिग् धिग् धिगिति मृङ्गो धिक्तादृक्षं जीवनम् ||७|| येषां संस्कृतेन सह वैरम् आङ्ग्ली भाषन्ते ये स्वैरम् ते खलु कथं भारतीया धिक्तादृक्षं जीवनम् बूते धिग् धिग् धिगिति मृदङ्गो धिक्तादृक्षं जीवनम् ।।४।। येषां मनसि वचस्यपि कार्ये साम्यं नहि दृश्यतेऽवधार्ये ते संशयितचरित्रात्याज्या धिक्तादृक्ष जीवनम् बूते धिग् धिग् धिगिति मृदङ्गो धिक्तादृक्षं जीवनम् ॥९॥ * * *

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