Book Title: Nandanvan Kalpataru 2016 05 SrNo 35
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 41
________________ काव्यानवादः बिन्दुः मुनिकल्याणकीर्तिविजयः (मराठीमूलम् - अश्विन पानसे गूर्जरानुवादः - अरुणा जाडेजा) मूलम् संस्कृतानुवादः पाणीनुं एक टीपुं जो ए तावडी पर पडे तो एनुं अस्तित्व मटे छे ए जो कमळना पान पर पडे तो मोती जेवू चमकी ऊठे छे, अने जो छीपमां पड्यु तो मोती ज थई जाय छे. पाणी- टीपु ए ज तफावत मात्र सहवासनो..... जलस्यैको बिन्दुः यदि स उष्णे ऋजीषे पतेत् । तदा तदस्तित्वमेव न स्यात्, यदि स नलिनीपत्रे पतेत् तदा मौक्तिकवत् चकासते, यदि च स शुक्तिमुखे पतेत् तदा स मौक्तिकमेव भवति ॥ जलबिन्दुस्तु स एव भेदः केवलं सङ्गतेरेव !!! ३२

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