Book Title: Namotthunam Ek Divya Sadhna
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Choradiya Charitable Trust

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Page 10
________________ आशीर्वचन सूरज छिपा, दीया निकला, मिटा अंधेरा, हुआ उजाला, हम क्यों पूछे सूरज कहाँ गया ? सूरज ने ही कहा मैं दीये में छिप गया ।। गणधर भगवंत ने कहा - मोक्ष पधारते हुए परमात्मा नमोत्थुणं धरती पर छोड गए। अंतरिक्ष को दिशाओं के बोध में मोड गए। ऐसे ये नमोत्थुणं अवतरीत हो गए लोगस्स तीर्थ में। जो हरपल देता हैं उल्हास, प्रतिक्षण देता है प्रकाश, अंतर का आवास, हर साँस में दे एहसास, अनुभूतिमय इतिहास, सर्व का विश्वास । मुक्ति के आशीर्वाद, दर्शन का धन्यवाद, अनुपमा का अनुवाद, अपूर्वयोगस्वरूप का साधुवाद... .

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