Book Title: Meri Jivan Prapanch Katha Author(s): Jinvijay Publisher: Sarvoday Sadhnashram ChittorgadhPage 37
________________ (२२) मेरी जोवन प्रपंच कथा मन में भय भी उत्पन्न हो जाता था। नंगी तलवारों के अनेक खेल वे करते जाते थे । उस ताबूत के पीछे सरकारी ताबूत का लवाजमा आना शुरू हुआ। ससे आगे घुड़ सवारों को एक पल्ट न थी। जिसके आगे उसी पल्टन का मिलिट्री बेंड भी घोडों ही पर बज रहा था। मिलिट्री का यह बैंड कोई ७०, ८० आदमियों का बड़ा काफला था । बैंड के पोछे घुड सवारों की पल्टन थी जो अच्छी सज धज के साथ चल रही थी। गिनती की तो याद नहीं पर कम से कम २ हजार घुड सवार उसमें होंगे। घुड सवारों के पीछे पैदल सिपाहियों की टुकड़ियां थों जो अलग अलग रिसाले के रूप में प्रसिद्ध थीं । हरेक रिसाले का अपना बड़ा बैंड था जिसमें भी ६०, ७० जवान थे । मिलिट्री के ये जवान तरह तरह को पोशाकों में सजे हुए थे। इस तरह एक के बाद एक मिलिट्री के पैदल रिसाले चलते गये। कहा जाता था कि उस जुलूस में १० हजार पैदल जवान सम्मिलित होते थे । । अन्त में वह सरकारी ताबूत पाया जो चार पाँच मंजिल जितना ऊँचा था और हजारों रुपयों की लागत से वह बनाया गया था। उसे देख कर मुझे लगा कि जोवन में मैंने आज कोई नया आश्चर्य जनक दृश्य देखा है । जिसको कल्पना इसके पहले मुझे कभी नहीं हुई थी। प्रायः संध्या समय होने आना पाया था और जुलूम के खत्म होते हो हमलोग अपने स्थानक में चले आये और फिर कुछ आहार पानी का समय था, उसे निपट लिया और सायंकाल का प्रतिक्रमण करने बैठ गये। प्रायः एक महीना जितना समय इन्दौर में व्यतीत कर हमने देवास नगर की तरफ प्रस्थान किया । देवास का परिचय देवास नगर भी धार की ही तरह मालवे का एक छोटा सा स्टेट था । वहां का राजघराना मराठे पंवार (परमार) वंश का था। यों यह स्टेट पेशवाओं के समय मराठों के अधिकार में पागया था। पहले मालवे के राजपूत लोगों के अधिकार में या। यों मालवे के ग्वालीयर, इन्दौर, धार, देवास आदि कई छोटे बड़े स्टेट पेशवाओं और मराठों के राज्यकाल के दरम्यान बने थे । देवास छोटा सा ही स्टेट था। इसके अधिकार में अासपास के दस बीस गांव होंगे स्टेट का बंदवारा कोई दो तीन पीढ़ियों पहले, दो भागों में हो गया, जिसको वहां के लोग छोटी पांति और बड़ी पांती के नाम से पहचानते थे । खुद देवास नगर भी इस प्रकार दो पांतियों में बंटा हुआ था । आधे नगर पर छोटी पांती का अधिकार था, आधे नगर पर बड़ी पांती का । स्टेट की हैसियत के मुताबिक कुछ मिलिट्री के और कुछ पुलिस के जवान भी रहते थे। इन्दौर से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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