Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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हों
वास्तव में उदात्त का संबंध अखिल मानवीय क्रिया-कलाप आचरण चिन्तन भाव तथा प्रकृति के ऐसे रूपों से है जो अपनी लोकोत्तरता में मन को अभिभूत करती हो और उत्कर्षित करती हों ।
उदात्त के संबंध में जिस पाश्चात्य विद्वान का नाम सहज ही विद्वानों को अपनी तरफ आकर्षित करता है वह नाम है "लौंजाइनस " । और उसके नाम से जो ग्रन्थ सम्बद्ध और प्रसिद्ध है वह है 'पेरिहुप्सुस' । शताब्दियों की उपेक्षा और विस्मृति के बाद 'पेरिहुप्सुस' 1954 ई0 में प्रकाशित हुआ जिसका श्रेय 'रोबेरतेल्लो' नामक एक इतावली विद्वान को है। 'पेरिहुप्सुस' मूल रूप से यूनानी मे लिखी गयी है जिसका अंग्रेजी अनुवाद 'सब्लाइम' के नाम से जाना जाता हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ 'उदात्त' है।
'पेरिहुप्सुस' काव्य निरूपक ग्रन्थ नहीं है, यह पत्र के रूप में 'कोस्तुमिउस तेरेन्तियानुस' नामक एक रोमी युवक को सम्बोधित है जो लौंजाइनस का मित्र या शिष्य रहा होगा। पत्र की भाषा यूनानी (ग्रीक) है।
लौंजाइनस के पहले जिस व्यक्ति ने 'उदात्त' का निरूपण किया था उस व्यक्ति का नाम 'केकिलियस था, किन्तु इसमें लौंजाइनस को अनेक त्रुटियाँ दिखायी पड़ी ।
(1) विषय की परिभाषा का अभाव ।
(2) उन पद्धतियों के विवेचन का अभाव जिनकी सहायता से कोई अपनी शक्ति विकसित कर उदात्त सी ऊँचाई तक पहुँच सकता है।
( 3 ) भाव जैसे प्रमुख तत्व के निरूपण का अभाव ।
(4) उदाहरणों का अनापेक्षित बाहुल्य ।
1. दि आक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्सनरी, वा दस पृष्ठ 31-32 ।
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