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(१) विनय की आराधना (२) अहं का नाश (३) गुरुजनों की पूजा (भक्ति)
(४) अर्हत् आज्ञा का पालन
(५) श्रुत धर्म की आराधना (६) मोक्ष की प्राप्ति ।
उत्तराध्ययन सूत्र में समागत वंदना के चार परिणाम" बताए गए हैं(१) नीच गोत्र कर्म का क्षय और उच्च गोत्र कर्म का बंध (२) सौभाग्य, लोकप्रियता
(३) अनुलंघनीय आज्ञा की प्राप्ति (४) अनुकूल परिस्थिति
भगवान महावीर ने स्तव - स्तुति के निम्न परिणामों की चर्चा की है(१) बोधि - लाभ - ज्ञान - दर्शन - चारित्र रूप बोधिलाभ की प्राप्ति अंतःक्रिया (मुक्ति) - भव का अंत करने वाली क्रिया (३) स्वर्ग गमन - कल्प विमान में उत्पत्ति
(२)
इसी प्रकार ज्ञान बोधि के परिणाम भी दृष्टव्य हैं(१) पदार्थ बोध
(२) पारगामिता
(३) क्षय नहीं होने वाले विनय आदि गुणों की प्राप्ति (४) प्रामाणिकता
दर्शन बोधि के परिणाम निम्नानुसार हैं
(१) मिथ्यात्व का क्षय
(२) सतत प्रकाश
(३) ज्ञान और दर्शन की निरंतर वृद्धि ।
चारित्र बोधि के परिणाम" इस प्रकार हैं
(१) अकंपदशा की प्राप्ति
(२) जन्म-मरण के कर्मों का क्षय और (३) मुक्ति ।
आचार्य मानतुंग ने स्तवन से होने वाले प्रमुख चार लाभों का उल्लेख
किया है
(१) समस्त दोषों का क्षय
(२) मिथ्या दृष्टिकोण का क्षय
(३) अनाचार की समाप्ति, चारित्र का लाभ
(४) दुर्लभ बोधि का सुलभ बोधि में परिवर्तन ।
२० / लोगस्स - एक साधना - १