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चौदह स्वप्न
१. हाथी - हाथी महानता का प्रतीक है। जिसका संकेत बालक विश्व का उद्धारक होगा।
२. वृषभ - पराक्रम धर्म का प्रतीक है। जिसका संकेत बालक धर्मनिष्ठ तथा धर्मतीर्थ का प्रवर्त्तक होगा।
३. सिंह - पराक्रम और ऊर्जा का प्रतीक हैं जिसका संकेत बालक अतुल बलशाली और पराक्रमी होगा।
४. श्री अभिषेक - अभिषिक्त लक्ष्मी राज्याधिकार की प्रतीक है। जिसका संकेत देवगण सुमेरु पर्वत पर ले जाकर बालक का अभिषेक करेंगे।
५. दाम ( माला) - पुष्पमालाएं बालक की सुगन्धित और कान्तिमान देह की सूचक है।
६. दिनकर - सूर्य बालक की तेजस्विता का प्रतीक है। जो इस बात का संकेत करता है कि वह अज्ञान अंधकार को दूर करेगा ।
७. राशि - पूर्णचन्द्र इस बात का प्रतीक है कि बालक चन्द्रमा की तरह आनंद और शांतिदायक होगा ।
८.
ध्वजा - धर्मध्वजा को वह सम्पूर्ण लोक में फैलायेगा ।
६. कुंभ - स्वर्ण कलश बालक को अनेक निधियों का स्वामी व्यक्त करते हैं । १०. सागर - समुद्र उनके अनंत ज्ञान (केवलज्ञान ) को व्यक्त करता है । ११. पद्मसर - कमल सरोवर बालक के अनेक शुभ लक्षणों का प्रतीक है । १२. देव विमान / भवन - देव विमान यह व्यक्त करता है कि बालक स्वर्ग सें आया है, वह असंख्य देव देवियों की पूज्यता प्राप्त करेगा तथा लोकोत्तर गरिमा का धारक होगा ।
नोट- रत्न प्रभा, शर्करा प्रभा और बालुका प्रभा नामक पृथ्वी से आने वाले तीर्थंकर की माता भवन तथा स्वर्ग से आगमन करने वाले तीर्थंकर की माता देव विमान देखती है।
१३. रत्न उच्चय - रत्नों की राशि अतिशय गुणों की सूचक है। यह इस बात का भी संकेत है कि बालक ज्ञान - दर्शन - चारित्र रूप तीन रत्नों से सुशोभित होगा ।
१४. शिखि (अग्नि) - ज्योतिर्मय धर्म का वह आराधक होगा। निर्धूम अग्नि मोक्ष की प्रतीक है।
उपरोक्त सारे स्वप्न असाधारण और प्रशस्त हैं । असामान्य हैं । ऐसे स्वप्न हर किसी को नहीं दिखाई देते हैं। इनमें से यदि एक भी स्वप्न दिख जाये तो ११४ / लोगस्स - एक साधना - १